Aaj Ka Sarso Ka Bhav : देशभर की मंडियों में आज का सरसों का भाव, जानिये आज का मंडी रेट

भारत में तिलहन खेती के प्रति किसानों का झुकाव काफी घटता जा रहा है। एक ओर जहां सरकार तिलहन फसलों को बढ़ावा देने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी सरसों की फसल (mustard minimum support price) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम दाम पर बेचनी पड़ रही है। इसका असर न केवल किसानों की आय पर पड़ रहा है बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि भारत खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर कैसे बनेगा?
सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
केंद्र सरकार ने इस वर्ष सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। लेकिन किसानों को अपनी सरसों MSP से भी कम दाम पर बेचनी पड़ी है। पिछले एक महीने में सरसों के भाव में जरूर थोड़ी वृद्धि हुई लेकिन आज फिर से सरसों के भाव में गिरावट दर्ज की गई है।
भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है जहां लगभग 60 प्रतिशत खाद्य तेल विदेशों से आयात होता है। इसके बावजूद देश के किसानों को सरसों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। उचित दाम से मतलब MSP से है।
देश के कई राज्यों में किसानों को अपनी सरसों फसल एमएसपी से भी कम दाम पर बेचनी पड़ी है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि विदेश से आयातित खाद्य तेल की कीमतें कम होने के कारण बड़े व्यापारी विदेशी तेल खरीदना ज्यादा मुनाफेदार समझ रहे हैं। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है।
खाद्य तेल आयात का प्रभाव
भारत हर साल इंडोनेशिया मलेशिया रूस यूक्रेन और अर्जेंटीना जैसे देशों से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करता है। इस आयात ने भारतीय बाजार में तिलहन फसलों के सही दाम पाने की संभावना को बहुत कम कर दिया है। जब सस्ता विदेशी तेल उपलब्ध होता है तो देशी सरसों तेल की मांग कम हो जाती है और इसका सीधा असर किसानों के मुनाफे पर पड़ता है।
इस स्थिति में जब किसानों को सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ही नहीं मिल रहा तो सवाल उठता है कि वे तिलहन फसलों की खेती कैसे और क्यों बढ़ाएंगे? सरकार का उद्देश्य तिलहन फसलों की पैदावार बढ़ाकर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनना है लेकिन जब किसान ही तिलहन की खेती करने से बचेंगे तो यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा?
तिलहन फसलों की खेती क्यों हो रही है घाटे का सौदा?
जानकारों का मानना है कि सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी नाम मात्र की होने के कारण व्यापारी सस्ता विदेशी तेल खरीद रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि इस बार किसानों को सरसों की खेती करके नुकसान झेलना पड़ा है। किसान अब पछता रहे हैं कि उन्होंने सरसों की फसल क्यों उगाई क्योंकि अब उन्हें लागत भी नहीं मिल पा रही है।
जब किसान अपनी अधिकतर फसल बेच चुके हैं तब जाकर सरसों के रेट में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। लेकिन आज सरसों के भाव में फिर से 250 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है।
देशभर की मंडियों में आज का सरसों का भाव
सरसों के भाव में गिरावट के बावजूद देशभर की अलग-अलग मंडियों में सरसों के रेट में अंतर देखा जा सकता है। नीचे देशभर की प्रमुख मंडियों में आज का सरसों का भाव दिया गया है:
- जयपुर मंडी (राजस्थान): ₹5685 प्रति क्विंटल
- बस्सी मंडी (राजस्थान): ₹5470 प्रति क्विंटल
- कोटा मंडी (राजस्थान): ₹5362 प्रति क्विंटल
- श्रीगंगानगर मंडी (राजस्थान): ₹5355 प्रति क्विंटल
- मेड़ता शहर (राजस्थान): ₹5345 प्रति क्विंटल
- जोधपुर मंडी (राजस्थान): ₹5390 प्रति क्विंटल
- चिडावा मंडी (राजस्थान): ₹5341 प्रति क्विंटल
हरियाणा में सरसों के रेट
- सिरसा मंडी: ₹5245 प्रति क्विंटल
- हिसार मंडी: ₹5410 प्रति क्विंटल
- रेवाड़ी मंडी: ₹5325 प्रति क्विंटल
- आदमपुर मंडी: ₹5340 प्रति क्विंटल
- ऐलनाबाद मंडी: ₹5100 प्रति क्विंटल
उत्तर प्रदेश में सरसों के भाव
- इटावा मंडी: ₹5574 प्रति क्विंटल
- मौदाहा मंडी: ₹5463 प्रति क्विंटल
- मैनपुरी मंडी: ₹5695 प्रति क्विंटल
- मेरठ मंडी: ₹5436 प्रति क्विंटल
- बरेली मंडी: ₹5585 प्रति क्विंटल
- ग्वालियर मंडी: ₹5720 प्रति क्विंटल
- ललितपुर मंडी: ₹5680 प्रति क्विंटल
मध्य प्रदेश और बिहार में सरसों के भाव
- बैतूल मंडी (मध्य प्रदेश): ₹5600 प्रति क्विंटल
- काला कैलारस मंडी (मध्य प्रदेश): ₹5594 प्रति क्विंटल
- मुंबई मंडी: ₹6200 प्रति क्विंटल
- बांद्रा मंडी: ₹5975 प्रति क्विंटल
- चंपारण मंडी (बिहार): ₹5490 प्रति क्विंटल
- समस्तीपुर मंडी (बिहार): ₹5400 प्रति क्विंटल
- किश्नगंज मंडी (बिहार): ₹5500 प्रति क्विंटल