cotton price : कॉटन की कीमतों में लगातार पाँचवे दिन गिरावट, स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर

गुजरात और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में कपास की कीमतें लगातार पांचवें दिन गिर गईं। गिरावट का मुख्य कारण कताई मिलों की कमजोर मांग है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी मंदी का असर देखने को मिल रहा है। आईसीई कॉटन वायदा बाजार में दिसंबर 2024 अनुबंध में आज गिरावट का रुख जारी रहा। दिसंबर अनुबंध -0.95 सेंट गिरकर 72.07 सेंट पर कारोबार कर रहा था। इस बीच एमसीएक्स पर कॉटन कैंडी का नवंबर वायदा 540 रुपये गिरकर 57950 रुपये प्रति कैंडी पर कारोबार कर रहा है।
कपास की कीमतों में मंदी का असर
गुजरात के अहमदाबाद में कपास की 29 शंकर-6 किस्म की कीमतें 50 रुपये घटकर 58700 रुपये से 59150 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी = 356 किलोग्राम) हो गई हैं। पिछले पांच दिनों में कॉटन की कीमतों में कुल 850 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आई है.
उत्तर भारत में भी कपास की कीमतें गिर रही थीं। पंजाब में कपास की स्पॉट डिलीवरी कीमतें 5820 रुपये से 5825 रुपये प्रति मन (एक मन = 40 किलोग्राम) बोली गईं जबकि हरियाणा में कीमतें 5710 रुपये से 5730 रुपये प्रति मन थीं। ऊपरी राजस्थान में कपास की कीमतें गिरकर 5425 रुपये से 5900 रुपये प्रति मन हो गईं। खैरथल लाइन में कपास की कीमतें भी गिरकर 57400 रुपये से 57600 रुपये प्रति कैंडी हो गईं।
कपास की आमद एवं नई फसल पर प्रभाव
देशभर के बाजारों में कुल 16100 गांठ (एक गांठ = 170 किलो) कपास की आवक हुई है। व्यापारियों के अनुसार कई राज्यों में नई फसल की आवक शुरू हो गई है जिससे कताई मिलें कम मात्रा में कपास खरीद रही हैं। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ गया है.
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार व्यापारियों और मिल मालिकों को पिछले दो सीज़न में घाटा हुआ है यही वजह है कि वे इस सीज़न में कपास खरीदने में जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं। हालाँकि इस साल कपास की बुआई में गिरावट आई है जिससे उत्पादन भी कम होने की संभावना है। फिर भी अगले महीने नई फसल की आमद बढ़ने की उम्मीद है जिससे कपास की कीमतों में और कमी आएगी।
नये कपास की आवक
हरियाणा राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में ताजा कपास की आवक शुरू हो गई है। अगर मौसम अनुकूल रहा तो आने वाले दिनों में पंजाब के बाजारों में नई फसल की आवक भी शुरू होने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 13 सितंबर तक कपास की बुआई में 9.06% की गिरावट आई है। इस वर्ष कपास की बुआई कुल 112.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 123.69 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई थी।
आने वाले समय में कपास की कीमतों पर असर
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में नई फसल की आमद से कपास की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। मिलर्स और स्टॉकिस्ट फिलहाल कपास की खरीदारी धीमी गति से कर रहे हैं जिससे कीमतों पर दबाव रहेगा। इस बीच नई फसल की मात्रा बढ़ने से कीमतों में सुधार की संभावना कम हो रही है।