इस तरह की खेती करने पर मिलेगा पैसा ही पैसा, एक एकड़ जमीन पर किसान ने एक साथ उगाई 5 फसलें, मिला दोगुना मुनाफा

खूबकरन सिंह रामपुर जिले के ऐचोरा गांव के निवासी अपनी अनोखी सहफसली खेती से पूरे इलाके में प्रेरणा बन गए हैं। उन्होंने 3 साल से जीरो बजट पर खेती करते हुए दोगुना मुनाफा कमाया है। उनका कहना है कि वह अलसी गेहूं चना और मसूर जैसी विभिन्न फसलों को एक एकड़ जमीन पर मिश्रित खेती के रूप में उगाकर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनके प्रयोगों और मेहनत से वह अन्य किसानों के लिए भी मिसाल बन गए हैं। इस सफलता के पीछे उनके द्वारा अपनाई गई जैविक खेती और सहफसली खेती का बड़ा योगदान है।
खूबकरन सिंह का कहना है कि वह अक्टूबर के पहले सप्ताह में चना और मसूर की बुआई करते हैं। यह फसलें ठंड के मौसम में उगती हैं और इन्हें कम तापमान के साथ-साथ पकने के समय शुष्क और गर्म वातावरण की जरूरत होती है। बीजों को सही गहराई पर बोने और फसलों के बीच उचित दूरी रखने से फसलें अच्छी तरह से अंकुरित होती हैं। उन्होंने बताया कि मिश्रित खेती से एक ही फसल में समान मात्रा में उर्वरक डालने से तीन से चार अलग-अलग फसलें एक साथ तैयार हो जाती हैं जिससे उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है।
जैविक कृषि और सहफसली खेती से मुनाफा
आजकल जैविक कृषि उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है और सरकार भी किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित कर रही है। खूबकरन सिंह भी जैविक खेती के समर्थक हैं और वह बिना रसायनों का इस्तेमाल किए खेती करते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल फसलों की गुणवत्ता बढ़ी है बल्कि उनकी आमदनी भी काफी हद तक बढ़ गई है। वह बताते हैं कि सहफसली खेती से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है जिससे लागत भी कम हो जाती है।
उनकी यह तकनीक इतनी सफल रही है कि हर 4-5 महीने में उन्हें 80000 से 90000 रुपये तक की आमदनी होती है। वह कहते हैं कि पानी की लागत एक फसल जितनी होती है जबकि इस विधि से कई फसलें एक साथ उगाई जा सकती हैं। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है और जमीन की उर्वरता भी बनी रहती है।
खूबकरन सिंह की मेहनत और प्रयोगों से न केवल उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त हुआ है बल्कि उन्होंने अन्य किसानों के लिए भी एक मार्गदर्शक का काम किया है। उनकी सफलता की यह कहानी किसानों को नई उम्मीद देती है खासकर ऐसे समय में जब कृषि की पारंपरिक विधियों से ज्यादा मुनाफा कमाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।