गेहूं के साथ किसान करें इस पेड़ की खेती, मालामाल कर सकता है ये बिजनेस आइडिया

Chinar Ki Kheti : आजकल बहुत से किसान खेती को केवल पारंपरिक तरीके से नहीं बल्कि बिजनेस (Business) के रूप में देखने लगे हैं। किसानों के बीच एक ऐसा तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है जो न केवल उनकी कमाई को कई गुना बढ़ा सकता है बल्कि उन्हें खेती के साथ-साथ उद्योग का अनुभव भी देता है। यह तरीका है पेड़ों की खेती जिसमें चिनार के पेड़ या पॉपलर की खेती (Poplar Tree Farming) विशेष रूप से भूमिका निभा रही है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे चिनार की खेती किसानों के लिए दोहरा मुनाफा साबित हो रही है और इसे करने का सही तरीका क्या है।
चिनार के पेड़ों की खेती कैसे करें?
चिनार के पेड़ की खेती एक बेहद लाभकारी खेती है जिसे किसान बड़ी आसानी से अपने खेतों में कर सकते हैं। चिनार की लकड़ी की हर समय बाजार में डिमांड रहती है इसलिए इससे मिलने वाला मुनाफा लगातार बढ़ता रहता है। चिनार की खेती करने का तरीका भी बेहद सरल है और इसे करने के साथ-साथ अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं जिससे किसानों को दोहरा मुनाफा मिलता है।
चिनार के पेड़ के साथ गेहूं, आलू, टमाटर, गन्ना, हल्दी जैसी फसलें भी लगाई जा सकती हैं। चिनार के पेड़ दो पेड़ों के बीच 12 से 15 फीट की दूरी रखते हुए लगाए जाते हैं जिससे बीच में अन्य फसलों के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है। इस तरह किसान एक साथ दो खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
चिनार की लकड़ी की उपयोगिता
चिनार का पेड़ एक पर्णपाती पेड़ है जिसकी लकड़ी प्लाईवुड बोर्ड माचिस की तीलियां सजावटी सामान स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स और पेंसिल बनाने के लिए उपयोग की जाती है। चिनार की लकड़ी (poplar wood) की मांग पूरे साल बनी रहती है इसलिए इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। चिनार की लकड़ी 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिकती है जिससे किसान को बड़ी मात्रा में मुनाफा होता है।
भारत के प्रमुख चिनार उत्पादक राज्यों में हरियाणा पंजाब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश जम्मू और कश्मीर अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। चिनार का पेड़ 5 से 7 साल में 85 फीट तक बढ़ सकता है जिससे इसकी खेती करना बेहद फायदेमंद होता है।
चिनार की उन्नत किस्में
चिनार की खेती में कुछ उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जो बेहतर पैदावार देती हैं और किसानों को अधिक मुनाफा देती हैं। इन किस्मों में एल-51 एल-74 एल-188 एल-247 जी-3 जी-48 आदि प्रमुख हैं। चिनार के पौधे कटिंग विधि से तैयार किए जाते हैं और इनकी उन्नत किस्में सही जलवायु में बेहतरीन पैदावार देती हैं।
चिनार के पेड़ लगाने का तरीका
चिनार के पेड़ लगाने के लिए उपजाऊ और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है। चिनार की खेती करने के लिए सबसे पहले नर्सरी में 2-2 फीट की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। इसके बाद अगले वर्ष इन्हें खेतों में स्थानांतरित किया जाता है। पौधों को लगाने से पहले कैप्टॉन या डायथेन (0.3%) घोल में डुबोना जरूरी है ताकि रोगों से बचाव हो सके।
चिनार के पौधों को खेतों में लगाने के लिए 3 फीट गहरे गड्ढे खोदकर उनमें गोबर की खाद मिलाई जाती है जिससे पौधों की वृद्धि तेजी से होती है। इन पौधों को 10 फीट की दूरी पर लाइन में लगाया जाता है और सिंचाई नाली के दोनों ओर 7 फीट का अंतर रखा जाता है।
चिनार की खेती से मुनाफा
चिनार की खेती से मुनाफा 5 से 7 साल में मिलना शुरू हो जाता है। एक एकड़ में लगभग 225 पेड़ लगाए जा सकते हैं। एक पेड़ से 4000 रुपये तक की कमाई की जा सकती है जिसका मतलब है कि एक एकड़ में लगभग 6 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। यदि किसान के पास 5 एकड़ जमीन है तो कुल कमाई 45 लाख रुपये तक हो सकती है।
इसके साथ-साथ यदि किसान चिनार के पेड़ों के बीच अन्य फसलें भी उगाते हैं तो दूसरी फसलों से होने वाली कमाई भी उनकी कुल आय में इजाफा कर सकती है। इस तरह चिनार की खेती किसानों को दोहरा मुनाफा देती है।
चिनार की खेती के फायदे
चिनार की खेती करने के कई फायदे हैं। सबसे पहला और बड़ा फायदा यह है कि इस पेड़ की लकड़ी की डिमांड सालभर रहती है जिससे मुनाफे का कोई जोखिम नहीं होता। इसके अलावा चिनार के पेड़ों के साथ अन्य फसलों की खेती भी की जा सकती है जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होती है।
चिनार के पेड़ की लकड़ी कई तरह के उद्योगों में काम आती है इसलिए इसकी कीमत भी अधिक मिलती है। इसके साथ ही चिनार की लकड़ी की गुणवत्ता और उपयोगिता के कारण इसकी मांग कभी कम नहीं होती जिससे किसानों को लंबी अवधि तक लगातार मुनाफा मिलता रहता है।