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मूंग की फसल जल्दी सुखाने के लिए किसान न करें खतरनाक रसायनों का प्रयोग, आपको और आपकी फसल को होंगे ये नुकसान

मूंग की फसल विशेष रूप से नहरी क्षेत्रों में लगभग 2.60 लाख हेक्टेयर में फैली हुई है जो कटाई के लिए तैयार है। किसान फसल को जल्द से जल्द बेचने की कोशिश में पैराक्वाट डाइक्लोराइड का छिड़काव कर रहे हैं जिससे फसल को जल्दी पकने और सूखने में मदद मिलती है।
 
mung bean crop

किसानों द्वारा खड़ी मूंग की फसल को जल्दी सुखाने के लिए खतरनाक रसायनों का सहारा लिया जा रहा है। आमतौर पर मूंग की फसल 10 दिनों में सूखती है लेकिन किसान अब पैराक्वाट डाइक्लोराइड जैसे खरपतवारनाशक रसायनों का उपयोग कर इसे महज 3 दिनों में सुखा रहे हैं। यह रसायन न केवल किसानों की सेहत के लिए बल्कि भूमि की उर्वरता और मूंग की गुणवत्ता के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है।

खतरनाक रसायनों के उपयोग से फसल का नुकसान

मूंग की फसल विशेष रूप से नहरी क्षेत्रों में लगभग 2.60 लाख हेक्टेयर में फैली हुई है जो कटाई के लिए तैयार है। किसान फसल को जल्द से जल्द बेचने की कोशिश में पैराक्वाट डाइक्लोराइड का छिड़काव कर रहे हैं जिससे फसल को जल्दी पकने और सूखने में मदद मिलती है। इस तरह किसान मंडियों में जल्दी फसल बेच सकते हैं। पैराक्वाट डाइक्लोराइड एक बहुत ही खतरनाक खरपतवारनाशक है जो पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को तुरंत रोक देता है जिससे पौधे जल्दी सूखने लगते हैं।

पैराक्वाट डाइक्लोराइड का स्वास्थ्य पर प्रभाव

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह रसायन मूंग के दानों में भी प्रवेश कर सकता है जो रसोई में उपयोग होने के बाद हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है। डॉ. पीयूष राजवंशी और डॉ. पवन सैनी का कहना है कि पैराक्वाट जैसे रसायन शरीर में सायटो-टॉक्सिक प्रभाव पैदा कर सकते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। इसके अलावा इससे फेफड़े गुर्दे और अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जिससे सांस की समस्या किडनी फेल्योर और गंभीर संक्रमण का खतरा हो सकता है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि मूंग को पकाने से पहले कई बार पानी से धोया जाए ताकि रसायनों का प्रभाव कम किया जा सके। इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कुछ हद तक रोका जा सकता है।

भूमि की उर्वरता पर असर

खतरनाक रसायनों के उपयोग का असर सिर्फ हमारे स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि यह जमीन की उर्वरता को भी धीरे-धीरे कम कर देता है। ये रसायन मिट्टी की जैविक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं जिससे मिट्टी की प्राकृतिक क्षमता कमजोर हो जाती है और अगली फसलों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

कृषि विभाग की किसानों के लिए चेतावनी

कृषि विभाग और विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को फसल को प्राकृतिक रूप से पकने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। जल्दबाजी में खतरनाक रसायनों का उपयोग न केवल किसानों की सेहत के लिए खतरनाक है बल्कि यह जमीन की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता को भी नुकसान पहुंचाता है।

डॉ. पीयूष राजवंशी के अनुसार किसान जागरूक हों और प्राकृतिक तरीकों से फसल को सुखाने का प्रयास करें। साथ ही किसानों को यह समझने की जरूरत है कि जल्दी फायदा उठाने के चक्कर में वे अपनी भूमि और स्वास्थ्य के साथ समझौता कर रहे हैं।