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पराली जलाने से मिलेगा छुटकारा, इस 20 रुपये के जुगाड़ से बनाएं हरित खाद, किसानों को अगली फसल में मिलेगा 2 गुणा लाभ

खेतों में पराली जलाने के बजाय जैव अपघटक का छिड़काव करने से 30 से 35 दिनों में पराली गल कर हरित खाद में बदल जाती है। यह खाद आपके खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। जैव अपघटक में जीवित कीटाणु होते हैं जो फसल से निकले कृषि अपशिष्टों को तेजी से डीकंपोज कर देते हैं।
 
green manure

किसानों के लिए अब पराली जलाना जरूरी नहीं रह गया है। अब आप पराली को हरित खाद में बदल सकते हैं जिससे न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित रहेगा बल्कि आपके खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। रायबरेली जिले के शिवगढ़ राजकीय कृषि केंद्र के सहायक विकास अधिकारी दिलीप कुमार सोनी (BSc. Ag.) ने किसानों के लिए एक बेहतरीन उपाय साझा किया है।

जैव अपघटक का छिड़काव कैसे करें?

दिलीप सोनी बताते हैं कि खेतों में पराली जलाने के बजाय जैव अपघटक का छिड़काव करने से 30 से 35 दिनों में पराली गल कर हरित खाद में बदल जाती है। यह खाद आपके खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। जैव अपघटक में जीवित कीटाणु होते हैं जो फसल से निकले कृषि अपशिष्टों को तेजी से डीकंपोज कर देते हैं।

जैव अपघटक तैयार करने की विधि

इस जैव अपघटक को तैयार करने के लिए आपको 200 लीटर पानी में 1.5 से 2 किलो गुड़ मिलाना होगा। इसे अच्छे से घोलकर पांच से छह दिन तक दिन में तीन बार लकड़ी से हिलाते रहें। 6 दिन बाद आपको इस घोल में जीवाणु दिखने लगेंगे जिसका छिड़काव आप अपने खेतों में कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से प्रति एकड़ केवल 20 रुपये का खर्च आता है जोकि बेहद किफायती है।

पराली जलाने के नुकसान

धान और गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को पराली कहा जाता है जिसे किसान आमतौर पर जला देते हैं। इससे खेतों की मिट्टी में मौजूद महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कार्बन नाइट्रोजन फॉस्फोरस और पोटैशियम की कमी हो जाती है। साथ ही पराली जलाने से उत्पन्न धुंआ हवा में घुलकर प्रदूषण बढ़ाता है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है और किसानों की कृषि भूमि की उर्वरता भी कम हो जाती है।

जैव अपघटक से फायदे

पराली को जलाने के बजाय जैव अपघटक से हरित खाद में बदलने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता। दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि किसानों को अपनी भूमि को उपजाऊ बनाने में भी मदद मिलेगी।

खेती से निकले अवशेषों को जैव अपघटक से खाद में बदलने की प्रक्रिया बेहद सरल और किफायती है। इस विधि का इस्तेमाल करने से खेतों की उर्वरता बढ़ने के साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। कृषि विभाग की ओर से इस प्रक्रिया के लिए निशुल्क जैव अपघटक उपलब्ध कराया जाता है जिससे किसान बिना किसी अतिरिक्त लागत के इसे अपना सकते हैं।

जैव अपघटक का भविष्य में उपयोग

जैव अपघटक से पराली को हरित खाद में बदलने की यह विधि भविष्य में खेती की प्रथाओं में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को यह विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैव अपघटक का उपयोग किसानों के लिए न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि इससे खेती के पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।