किसानों के लिए सुनहरा अवसर, काले गेहूं की खेती से बदल सकती है आपकी ज़िंदगी, बाजार में मिलता है चार गुना भाव
Black Wheat Farming: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार काले गेहूं में सामान्य गेहूं की तुलना में औषधीय गुण अधिक होते हैं जो इम्युनिटी बढ़ाने और गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं।

Delhi Highlights, नई दिल्ली: काले गेहूं की खेती इन दिनों तेजी से बढ़ती मांग और अधिक मुनाफे के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। 2024 के अक्टूबर-नवंबर महीने में रबी सीजन के दौरान किसान इसकी बुवाई कर सकते हैं। इस खेती में प्रति एकड़ 60 किलो डीएपी, 30 किलो यूरिया, 20 किलो पोटाश और 10 किलो जिंक का उपयोग किया जाता है। इससे फसल की पैदावार बेहतर होती है और लागत भी कम होती है। काले गेहूं की खेती में पहले जुताई और खेत को समतल करना जरूरी है ताकि मिट्टी की उर्वरकता और जल निकासी का सही प्रबंधन हो सके।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार काले गेहूं में सामान्य गेहूं की तुलना में औषधीय गुण अधिक होते हैं जो इम्युनिटी बढ़ाने और गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। काले गेहूं की कीमत सामान्य गेहूं की तुलना में लगभग चार गुना अधिक होती है जिससे किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।
काले गेहूं की बुवाई के समय
काले गेहूं की खेती रबी के मौसम में अक्टूबर से नवंबर के बीच शुरू होती है। बुवाई के समय खेत की नमी पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। खेत की जुताई और सही उर्वरक का प्रयोग फसल की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है। बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई की जाती है और इस समय प्रति एकड़ 60 किलो यूरिया का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। इसके बाद मिट्टी की नमी के आधार पर समय-समय पर सिंचाई की जाती है। फसल की बालियां निकलने के समय विशेष रूप से सिंचाई आवश्यक होती है।
काले गेहूं के औषधीय गुण
काले गेहूं को 'काला सोना' कहा जाता है जो इसके औषधीय गुणों को दर्शाता है। इसमें पिगमेंट की उच्च मात्रा होती है जो हृदय रोग डायबिटीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसके साथ ही यह इम्युनिटी को बढ़ाने में भी सहायक है। इसके बायोफर्टिफाइड गुणों के कारण इसमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिससे यह सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद है।
काले गेहूं की बढ़ती मांग
इन दिनों काले गेहूं की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके औषधीय गुण और अधिक मुनाफा देने की क्षमता के कारण किसान इसे बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं। सामान्य गेहूं की कीमत जहां 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है वहीं काले गेहूं की कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक होती है। इसलिए किसानों के बीच इसका उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और यह बाजार में लोगों की पसंद बन गया है।
कैसे करें काले गेहूं की खेती
काले गेहूं की खेती शुरू करने से पहले किसान खेत की मिट्टी की जांच करवा सकते हैं और उसके पोषक तत्वों के आधार पर उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग कर सकते हैं। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि फसल को सही मात्रा में नमी मिल सके। बुवाई के बाद समय-समय पर सिंचाई करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।
काले गेहूं से बेहतर मुनाफा
काले गेहूं की खेती की एक खास बात यह है कि इसमें सामान्य गेहूं की तुलना में 15-20% अधिक उपज होती है। इसके साथ ही इसकी लागत भी कम होती है जिससे किसान इसका फायदा उठा रहे हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है और किसानों को इसका चार गुना अधिक मुनाफा मिल रहा है। उत्तर भारत के कई जिलों में किसानों ने काले गेहूं की खेती को अपनाया है और इसका लाभ उठा रहे हैं।