सोयाबीन और कपास किसानों को सरकार ने दी राहत! 4,194.68 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर

सरकार ने 2023 खरीफ सीजन में कपास और सोयाबीन की फसल उगाने वाले किसानों के लिए 4194.68 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की है। 30 अगस्त, 2024 को एक महत्वपूर्ण बैठक में यह घोषणा की गई, जिसमें कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने आर्थिक सहायता वितरण के लिए 10 सितंबर से प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इस फैसले का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करना है।
तकनीकी कठिनाइयों के समाधान के निर्देश
बैठक में कृषि मंत्री ने आईटी और राजस्व विभाग को निर्देश दिया कि किसी भी तकनीकी समस्या को तुरंत हल किया जाए ताकि सहायता राशि बिना किसी रुकावट के सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की जा सके। इस दिशा में मंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सक्रिय सहयोग की अपील की।
कपास और सोयाबीन किसानों को कितनी वित्तीय सहायता?
इस वर्ष खरीफ सीजन में कपास और सोयाबीन किसानों को सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर 1000 रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है। इस वित्तीय सहायता का विभाजन इस प्रकार किया गया है:
- कपास किसानों के लिए: ₹1548.34 करोड़
- सोयाबीन किसानों के लिए: ₹2646.34 करोड़
कुल मिलाकर, कपास और सोयाबीन किसानों के लिए 4194.68 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों में हुए नुकसान की भरपाई करना है, जो प्राकृतिक आपदाओं और बाजार में मूल्य गिरावट के कारण हुआ।
समीक्षा बैठक में मौजूद अधिकारी
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे की अध्यक्षता में टेलीविजन प्रणाली के माध्यम से एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें कृषि विभाग की सचिव श्रीमती जयश्री भोज, कृषि आयुक्त रवीन्द्र बिनवड़े, कृषि संचालक विजयकुमार आवटे, और आईटी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसानों को वित्तीय सहायता की राशि सुचारू रूप से पहुंचाई जाए और वितरण प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं का तुरंत समाधान किया जाए।
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए राहत
पिछले वर्ष, राज्य भर में सोयाबीन और कपास किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। प्राकृतिक असंतुलन के कारण फसल उत्पादन में कमी आई और सूखे के प्रभाव के बाद बाजार में कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। इससे किसानों की आय में भी भारी गिरावट आई। इस समस्या का समाधान करने के लिए, कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने 2023 में किसानों के लिए 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी देने की घोषणा की थी।
इस निर्णय के तहत सरकार ने बजट में फंड आवंटित किया, और अब 10 सितंबर से किसानों के खातों में इस सहायता राशि का सीधा हस्तांतरण किया जाएगा। इस सहायता के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करना है ताकि वे आगामी खेती के सीजन के लिए तैयारी कर सकें।
किसानों के खाते में सीधा फंड ट्रांसफर
सरकार की यह योजना किसानों के लिए राहत का एक बड़ा कदम साबित हो सकती है, क्योंकि वित्तीय सहायता राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी, और किसानों को पूरी राशि का लाभ मिलेगा। धनंजय मुंडे ने यह भी कहा कि राज्य सरकार आईटी और राजस्व विभागों के साथ मिलकर वितरण प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए काम कर रही है।
सरकार ने 2023 खरीफ सीजन में कपास और सोयाबीन की फसल उगाने वाले किसानों के लिए 4194.68 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की है। 30 अगस्त, 2024 को एक महत्वपूर्ण बैठक में यह घोषणा की गई, जिसमें कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने आर्थिक सहायता वितरण के लिए 10 सितंबर से प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इस फैसले का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करना है।
तकनीकी कठिनाइयों के समाधान के निर्देश
बैठक में कृषि मंत्री ने आईटी और राजस्व विभाग को निर्देश दिया कि किसी भी तकनीकी समस्या को तुरंत हल किया जाए ताकि सहायता राशि बिना किसी रुकावट के सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की जा सके। इस दिशा में मंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सक्रिय सहयोग की अपील की।
कपास और सोयाबीन किसानों को कितनी वित्तीय सहायता?
इस वर्ष खरीफ सीजन में, कपास और सोयाबीन किसानों को सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर 1000 रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है। इस वित्तीय सहायता का विभाजन इस प्रकार किया गया है:
कपास किसानों के लिए: ₹1548.34 करोड़
सोयाबीन किसानों के लिए: ₹2646.34 करोड़
कुल मिलाकर, कपास और सोयाबीन किसानों के लिए 4194.68 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों में हुए नुकसान की भरपाई करना है, जो प्राकृतिक आपदाओं और बाजार में मूल्य गिरावट के कारण हुआ।
समीक्षा बैठक में मौजूद अधिकारी
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे की अध्यक्षता में टेलीविजन प्रणाली के माध्यम से एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें कृषि विभाग की सचिव श्रीमती जयश्री भोज, कृषि आयुक्त रवीन्द्र बिनवड़े, कृषि संचालक विजयकुमार आवटे, और आईटी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसानों को वित्तीय सहायता की राशि सुचारू रूप से पहुंचाई जाए और वितरण प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं का तुरंत समाधान किया जाए।
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए राहत
पिछले वर्ष, राज्य भर में सोयाबीन और कपास किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। प्राकृतिक असंतुलन के कारण फसल उत्पादन में कमी आई और सूखे के प्रभाव के बाद बाजार में कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। इससे किसानों की आय में भी भारी गिरावट आई। इस समस्या का समाधान करने के लिए, कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने 2023 में किसानों के लिए 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी देने की घोषणा की थी।
इस निर्णय के तहत सरकार ने बजट में फंड आवंटित किया, और अब 10 सितंबर से किसानों के खातों में इस सहायता राशि का सीधा हस्तांतरण किया जाएगा। इस सहायता के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करना है ताकि वे आगामी खेती के सीजन के लिए तैयारी कर सकें।
किसानों के खाते में सीधा फंड ट्रांसफर
सरकार की यह योजना किसानों के लिए राहत का एक बड़ा कदम साबित हो सकती है, क्योंकि वित्तीय सहायता राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी, और किसानों को पूरी राशि का लाभ मिलेगा। धनंजय मुंडे ने यह भी कहा कि राज्य सरकार आईटी और राजस्व विभागों के साथ मिलकर वितरण प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए काम कर रही है।