हरियाणा में डीएपी खाद की किल्लत से किसान परेशान, सरसों व आलू की होनी है बिजाई, प्रशासन की अनदेखी पर उठाए सवाल

हरियाणा में चुनावी सरगर्मियों के बीच किसानों की सबसे बड़ी समस्या डीएपी खाद (DAP Fertilizer) की भारी कमी बन गई है। इस वक्त किसान सरसों और आलू की बिजाई के लिए डीएपी खाद (DAP Khad) की जरूरत महसूस कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण उन्हें यह उपलब्ध नहीं हो पा रहा। भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के प्रदेशाध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने इस गंभीर स्थिति का जायजा लेने के लिए जिले के विभिन्न खाद बिक्री केंद्रों का दौरा किया। वहां उन्होंने किसानों की समस्याओं को सुना और खाद की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की।
किसानों का कहना है कि इस समय उनके पास खाद की सप्लाई नहीं है जिससे उनकी खेती प्रभावित हो रही है। यह स्थिति इसलिए और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि सरसों और आलू की बिजाई के समय पर खाद की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण होती है। डीएपी की कमी के कारण किसानों को फसल की बिजाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
खाद बीज व कीटनाशकों का स्टॉक न करने पर सरकार पर आरोप
किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख ने केंद्र सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि जब डीएपी खाद के इंटरनेशनल रेट्स कम थे तब सरकार ने इसकी खरीदारी नहीं की। इसके बाद खाद के दाम बढ़ गए और सरकार ने तब खरीदारी की जिससे किसानों पर दोहरा भार पड़ा। इस समय जो खाद किसानों को उपलब्ध हो रही है वह महंगी भी है और देरी से भी मिल रही है जिससे खेती की लागत बढ़ गई है।
सरकार ने खाद बीज और कीटनाशकों का सही समय पर स्टॉक नहीं किया जिससे यह किल्लत उत्पन्न हुई। किसानों की जरूरतों को नजरअंदाज करके सरकार ने उन्हें महंगी और लेट खाद देने की रणनीति अपनाई जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं। किसानों की इस समस्या का सीधा असर उनकी फसल उत्पादन और आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है।
चुनावी माहौल में किसानों की अनदेखी
लखविंद्र सिंह औलख ने इस मुद्दे पर राजनेताओं की उदासीनता को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जब चुनाव नजदीक होते हैं तो राजनेता सत्ता की लालसा में इतने उलझ जाते हैं कि उन्हें किसानों की चिंता करने की फुर्सत ही नहीं रहती। किसानों की फसल और खेती की जरूरतें उनके लिए महत्वहीन हो जाती हैं। किसानों को डीएपी की लाइनों में खड़े होने पर मजबूर कर दिया गया है और इस पर किसी भी पार्टी के नेता ध्यान नहीं दे रहे हैं।
किसान नेता ने किसानों से अपील की कि जब भी कोई नेता गांवों में वोट मांगने आए तो उनसे डीएपी खाद बीज और कीटनाशकों की उपलब्धता के बारे में सवाल अवश्य पूछें। उन्होंने कहा कि किसानों को नेताओं से यह जरूर जानना चाहिए कि उन्होंने अब तक किसानों के लिए क्या किया है। चुनावी वादों से पहले उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के बारे में सोचना चाहिए।
कालाबाजारी का शिकार किसानों की जरूरतें
किसानों की मूलभूत जरूरतें आज भी कालाबाजारी का शिकार बनी हुई हैं। डीएपी खाद की भारी किल्लत के चलते कुछ लोग इसका फायदा उठाकर काला बाजार चला रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। कालाबाजारी के कारण किसान महंगे दामों पर खाद खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं जिससे उनकी लागत बढ़ रही है और वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
लखविंद्र सिंह औलख ने किसानों से कहा कि वे उन नेताओं से सवाल जरूर पूछें जो उनके पास वोट मांगने आएंगे। उन्होंने कहा कि विकास और नशे के बढ़ते प्रकोप का हिसाब भी नेताओं से मांगा जाना चाहिए। किसान और मजदूर वर्ग लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है और इसका मुख्य कारण सरकार की नीतियों में किसानों के हितों की अनदेखी है।
किसानों की आर्थिक स्थिति पर भारी असर
डीएपी खाद की किल्लत ने न केवल खेती को प्रभावित किया है बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डाला है। महंगी खाद खरीदने के लिए किसान कर्ज लेने पर मजबूर हो रहे हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जा रही है। खेती से होने वाली आय भी घट रही है क्योंकि फसल उत्पादन कम हो रहा है। इस स्थिति में किसानों का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है।
सत्ता की लालसा में उलझे नेता
किसान नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि वर्तमान राजनेता केवल सत्ता की लालसा में उलझे हुए हैं। वे किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं और चुनावी मौसम में अपने स्वार्थ साधने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब नेता उनके पास वोट मांगने आएं तो उनसे सवाल अवश्य पूछें और अपनी समस्याओं का समाधान मांगें।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि सरकार और राजनेताओं की अनदेखी के कारण प्रदेश का किसान आज भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहा है। डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उनकी समस्याओं का समाधान कब होगा।