धान-गेहूं को छोड़ नींबू की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा! कम खर्च पर 12 महीने रहती है मांग

Lemon cultivation : बिहार के युवा किसान प्रिंस की खेती में सफलता की कहानी उन किसानों के लिए एक प्रेरणा है जो परंपरागत खेती से अधिक मुनाफा पाना चाहते हैं। 2024 में प्रिंस ने पारंपरिक फसलों के अलावा नींबू की खेती की ओर रुख किया और पांच कट्ठा जमीन पर सौ से अधिक कागजी नींबू के पेड़ लगाए। इस कदम ने न सिर्फ उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि अन्य किसानों को भी यह दिखाया कि कम लागत वाली खेती भी अधिक मुनाफा दे सकती है।
अधिक मुनाफा देने वाली खेती: कागजी नींबू
प्रिंस ने पारंपरिक धान और गेहूं की खेती को छोड़कर अधिक मुनाफा देने वाली कागजी नींबू की खेती को अपनाया। नींबू की खेती में कम लागत लगती है और यह कुछ वर्षों में ही अधिक उपज देती है। नींबू की खेती में धान-गेहूं की तुलना में कम मेहनत और समय लगता है। इस खेती से आने वाला मुनाफा भी पारंपरिक फसलों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है।
कम खर्च ज्यादा मुनाफा
प्रिंस ने अपने पिता के साथ मिलकर नींबू की खेती की शुरुआत की। उनके अनुसार नींबू के पेड़ों से मिलने वाली फसलें धान-गेहूं की तुलना में ज्यादा लाभदायक होती हैं। एक नींबू का पेड़ दो साल में 5-6 किलो तक फल देता है जो समय के साथ 20-25 किलो तक बढ़ सकता है। नींबू की खेती में खर्च भी कम है और कीटनाशकों के नियमित छिड़काव के साथ यह खेती की जा सकती है। सबसे खास बात यह है कि नींबू की खेती में अतिरिक्त मैनपावर की जरूरत नहीं होती जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
पारंपरिक खेती में नए विचार
बीसीए की डिग्री हासिल करने वाले प्रिंस ने खेती में नए प्रयोग करने का निर्णय लिया। उन्होंने न सिर्फ नींबू की खेती की बल्कि बागवानी मत्स्य पालन और अन्य कृषि गतिविधियों से अपनी आय को संतुलित किया। उनके अनुसार कागजी नींबू की खेती अन्य फलों जैसे केला और पपीता की तुलना में अधिक लाभदायक है।
नींबू की खेती से कैसे बनें लखपति
प्रिंस की यह कहानी बताती है कि अगर कोई किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ फलों की बागवानी और अन्य कृषि उत्पादों की खेती करे तो वह कम मेहनत में भी अधिक मुनाफा कमा सकता है। नींबू की खेती में कम लागत और अधिक उपज के कारण कई किसान इससे प्रेरणा लेकर अपनी खेती का रुझान बदल रहे हैं।
प्रिंस के अनुसार कागजी नींबू का बाजार मूल्य अन्य नींबू की किस्मों से अधिक होता है और इसकी मांग साल भर बनी रहती है। इसके अलावा इस खेती में मौसम का प्रभाव कम पड़ता है जिससे किसान को किसी बड़े नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता।
बिहार के किसानों के लिए एक नई राह
प्रिंस ने बिहार के अन्य किसानों के लिए एक नई राह खोली है। उन्होंने दिखाया है कि खेती में नवाचार और पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक तकनीकों का समायोजन करके किसान अपने मुनाफे को दोगुना कर सकते हैं। नींबू की खेती में सफलता पाकर प्रिंस ने यह साबित कर दिया कि कम मेहनत में भी बड़े परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।