धान की फसल में ब्राउन प्लांट हॉपर का प्रकोप, किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी

Delhi highlights : धान की फसल को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने एक अहम एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में धान की खेती करने वाले किसानों को आगाह किया गया है कि इस समय धान की फसल पर ब्राउन प्लांट हॉपर (Brown Plant Hopper) नामक कीट का आक्रमण हो सकता है। यह कीट धान के पौधों के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए किसानों को अपने खेतों का नियमित निरीक्षण करना बेहद जरूरी है खासतौर पर पौधे के निचले हिस्से में मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करना चाहिए।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वक्त धान की फसल वानस्पतिक वृद्धि की स्थिति में है जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है। किसान तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप का उपयोग करें। एक एकड़ में 3 से 4 ट्रैप लगाए जा सकते हैं जिससे कीटों की संख्या पर नजर रखी जा सके। यदि धान की फसल में पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दाने 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें।
ब्राउन प्लांट हॉपर का जीवन चक्र और असर
ब्राउन प्लांट हॉपर कीट का असर सितंबर से लेकर अक्तूबर तक रहता है। इस कीट का जीवन चक्र लगभग 20 से 25 दिनों का होता है जिसमें इसके शिशु और व्यस्क कीट दोनों ही धान के पौधों के तने और पत्तियों से रस चूसते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान पौधों की पत्तियों के ऊपरी सतह पर काले रंग की फफूंदी उग जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया रुक जाती है। इसके परिणामस्वरूप पौधों का विकास थम जाता है और फसल कमजोर हो जाती है।
ब्राउन प्लांट हॉपर कीट हल्के भूरे रंग के होते हैं और इनसे प्रभावित फसल को "हॉपर बर्न" कहा जाता है। यह कीट फसल के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं और इनके प्रकोप से बचाव के लिए समय रहते उचित कदम उठाना जरूरी है।
धान की फसल में कीटों से बचाव के उपाय
फसल का नियमित निरीक्षण करें: कीड़ों और बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें। पौधों के निचले हिस्से का विशेष ध्यान रखें जहां कीटों का प्रकोप अधिक हो सकता है।
फिरोमोन ट्रैप का उपयोग करें: तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप लगाएं। इससे कीटों की संख्या पर नजर रखी जा सकती है और समय पर नियंत्रण किया जा सकता है।
कीटनाशकों का सही उपयोग: कीटनाशकों का उपयोग तभी करें जब कीटों का प्रकोप बढ़ जाए। वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार यदि पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दाने 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें।
फसल के प्रभावित हिस्सों को हटाएं: यदि फसल के किसी हिस्से में कीटों का प्रकोप अधिक हो तो उस हिस्से को हटा दें और गहरे गड्ढे में दबा दें ताकि कीटों का प्रकोप अन्य हिस्सों में न फैले।
फल मक्खी से बचाव के उपाय: फल मक्खी से फसलों को बचाने के लिए खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ कीटनाशक का घोल बनाकर छोटे कप या किसी अन्य बरतन में रख दें। इससे फल मक्खी का नियंत्रण हो सकेगा।
मिर्च के खेत में विषाणु रोग से बचाव: मिर्च के खेत में यदि विषाणु रोग (Viral Diseases) से ग्रसित पौधे हों तो उन्हें उखाड़कर जमीन में दबा दें। यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
स्वीट कॉर्न और गाजर की बुवाई के सुझाव
वैज्ञानिकों ने धान की फसल के साथ-साथ अन्य फसलों की बुवाई को लेकर भी सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि किसान स्वीट कॉर्न तथा बेबी कॉर्न की बुवाई मेड़ों पर करें। गाजर की बुवाई भी मेड़ों पर करें और बीज दर 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें। बुवाई से पहले बीज को केप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। खेत तैयार करते समय देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें जिससे फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार हो सके।