paddy crop : धान की फसल में बाली और दाने बनते समय किसान इन बातों का रखें ध्यान, कम लागत में है मोटा मुनाफा

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए सितंबर का महीना बेहद अहम होता है खासकर जब धान की फसल में बाली निकलने और दाने बनने की प्रक्रिया चल रही हो। इस समय किसानों को अपनी फसल में विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि उत्पादन अच्छा हो और फसल की गुणवत्ता भी बनी रहे। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस दौरान किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए जो उनकी फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकती हैं।
धान की फसल में पानी की जरूरत
सितंबर महीने में बारिश की कमी के कारण धान की फसल में पानी की जरूरत बढ़ जाती है। यह समय फसल के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बाली निकलने और दाने बनने की प्रक्रिया में पर्याप्त नमी जरूरी होती है। अगर पानी की कमी होती है तो इसका सीधा असर दाने के वजन और गुणवत्ता पर पड़ सकता है। धान की फसल में 55 से 60 दिनों के बाद बाली निकलने की प्रक्रिया शुरू होती है और इस दौरान खेत में नमी बनाए रखना बेहद जरूरी होता है।
इसलिए अगर आपके क्षेत्र में बारिश कम हो रही है तो खेतों में सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि फसल में पानी की कमी न हो और बाली तथा दाने की गुणवत्ता बनी रहे।
नाइट्रोजन का इस्तेमाल न करें
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अगर आपकी धान की फसल 55 से 60 दिन की हो गई है तो नाइट्रोजन का इस्तेमाल बिलकुल न करें। नाइट्रोजन का अधिक उपयोग पौधों में कोमलता और पानी की मात्रा को बढ़ाता है जिससे कीटों का आकर्षण बढ़ता है और उत्पादन प्रभावित होता है। इस समय धान के पौधों को नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती बल्कि अन्य पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
कमजोर पौधों के लिए एनपी 19:19:19 का उपयोग
अगर धान के पौधे कमजोर दिख रहे हैं और पत्तियों में पीलापन आ रहा है तो किसान एनपी 19:19:19 का उपयोग कर सकते हैं। इसमें नाइट्रोजन फॉस्फोरस और पोटाश पाया जाता है जो पौधों की सेहत में सुधार लाता है।
किसान 1-2 किलोग्राम एनपी 19:19:19 को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ फसल में इसका छिड़काव कर सकते हैं। इससे बाली में चमक आएगी और दाने वजनदार बनेंगे जिससे उत्पादन में सुधार होगा।
00:00:50 का छिड़काव
किसान 00:00:50 का भी छिड़काव कर सकते हैं जिसमें 50% पोटाश होता है। इसका इस्तेमाल करने से धान के दाने भारी होंगे उनकी चमक बढ़ेगी और फसल रोगों से भी सुरक्षित रहेगी। इसके लिए 1-2 किलोग्राम 00:00:50 को 100 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें।
पोटाश फसल को आवश्यक पोषण देता है जिससे न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। इसके उपयोग से किसान कम लागत में बेहतर उत्पादन पा सकते हैं।
खरपतवार का निस्तारण
धान की फसल में खरपतवार पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। अगर आपकी धान की फसल 40 से 45 दिन की हो गई है तो किसी भी खरपतवार नाशक दवा का उपयोग करने से बचें। इस स्थिति में किसानों को निराई-गुड़ाई का सहारा लेना चाहिए।
अगर फसल में खरपतवार अधिक हो गए हैं तो कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 45 दिन से अधिक उम्र की फसल में दरांती से खरपतवार काटकर खेत से बाहर निकाल दें और खुरपी से गुड़ाई कर दें। आवश्यकतानुसार किसान एक से दो बार निराई-गुड़ाई कर सकते हैं जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
सही प्रबंधन से मिलेगा बेहतर उत्पादन
धान की फसल के इस महत्वपूर्ण चरण में किसानों को सही प्रबंधन और देखभाल से बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकता है। फसल में पानी की कमी न हो इसका ध्यान रखें। साथ ही पौधों को सही पोषण देने के लिए एनपी 19:19:19 और 00:00:50 जैसे पोषक तत्वों का सही समय पर उपयोग करें।
खरपतवार को समय पर निस्तारित करें ताकि उनकी प्रतिस्पर्धा फसल के साथ न हो और उत्पादन प्रभावित न हो। विशेषज्ञों के अनुसार धान की फसल में इन छोटे-छोटे प्रबंधन उपायों से 30% से 35% तक उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है।
धान की खेती के इस अहम समय में किसानों को हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान देना चाहिए ताकि न केवल उत्पादन बढ़े बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो।