किसानों की बल्ले-बल्ले, धान के भाव में 500 रुपये की तेजी, जानें आज के नए रेट

हाल ही में बासमती धान की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल देखा गया है। उदाहरण के तौर पर 1509 साठी धान जिसका भाव 2 अगस्त को लगभग 2450 रुपये प्रति क्विंटल था अब 3000 रुपये के करीब पहुंचने वाला है। इसी तरह नई वैरायटी सुपर 52 के भाव 2000-2100 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2600 रुपये से अधिक हो चुके हैं। यह 500 रुपये का उछाल बासमती सीज़न के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
इस उछाल के पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला मंडियों में 1509 धान की आवक का कम होना और दूसरा निर्यात बढ़ने की खबरें। करनाल मंडी की बात करें तो अगस्त के शुरुआती हफ्ते में 1509 धान की आवक 1.50 लाख बोरी से अधिक थी जो अब घटकर लगभग 50000 बोरी रह गई है। अन्य मंडियों में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रही है। इन सबके बीच किसानों के लिए एक बड़ी राहत यह है कि बासमती के भाव में आया यह उछाल आने वाले समय में अन्य किस्मों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
MEP को लेकर सरकार पर बढ़ा दबाव
किसानों और व्यापारियों के लिए MEP (Minimum Export Price) का मुद्दा एक बड़ी चिंता बना हुआ है। यह MEP वर्तमान में बासमती धान के तेजी से बढ़ने वाले भावों पर रोक लगा रहा है। हालांकि सरकार पर इसे हटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है। मिलर्स निर्यातक और आढ़ती एसोसिएशन इसे हटाने के लिए जोरदार मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया न्यूज एजेंसियों और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर इस मुद्दे की काफी चर्चा हो रही है।
सूत्रों के अनुसार सरकार इस मुद्दे पर गहन विचार कर रही है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही MEP पर कोई सकारात्मक निर्णय लिया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो 1509 धान के भाव में तेजी से उछाल देखने को मिल सकता है।
निर्यात में उछाल
2023-24 के शुरुआती महीनों में निर्यात को लेकर कई परेशानियां सामने आईं लेकिन इसके बावजूद बासमती के निर्यात में 15% की वृद्धि देखी गई। अप्रैल-जुलाई 2023 की अवधि में बासमती चावल का निर्यात 2.036 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया जो पिछले साल इसी अवधि में 1.774 बिलियन डॉलर था।
भारतीय बासमती चावल की मांग न केवल घरेलू बाजार में बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है। सऊदी अरब ने इस वर्ष ईरान को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़े आयातक देश के रूप में उभरा है। इसके अलावा इराक और संयुक्त राज्य अमेरिका भी भारत से बासमती चावल का बड़े पैमाने पर आयात कर रहे हैं।
भारत में बासमती की खेती
हर साल भारत में बासमती धान के खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश (UP) और मध्य प्रदेश (MP) के किसानों ने साठी 1509 और पूसा धान जैसी किस्मों को बड़े पैमाने पर अपनाया है। पहले पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान मुख्य रूप से बासमती उगाते थे लेकिन अब पूर्वी UP और MP के किसान भी इस फसल को बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं।
2023 में बासमती का उत्पादन लगभग 15 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है। हालांकि बढ़ते निर्यात और कम स्टॉक के चलते आने वाले सीजन में किसानों के लिए अच्छे भाव मिलने की संभावनाएं कम हैं।
पिछले साल के भाव की तुलना
8 सितंबर 2023 को 1509 साठी धान के भाव को देखते हुए पिछले साल की तुलना में कुछ अंतर जरूर दिख रहा है। पिछले साल करनाल मंडी में 1509 साठी धान का औसत भाव 3561 रुपये था जबकि इस साल भाव 2955 रुपये तक बने हैं। इसी प्रकार अन्य मंडियों में भी भावों में गिरावट देखी गई है।
चावल के बाजार में भी कुछ गिरावट आई है। जहां पिछले साल स्टीम 1509 ग्रेड A चावल का भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल था वहीं इस साल यह 7000 रुपये के आसपास है।
मंडियों में ताजा स्थिति
MEP पर जारी चर्चाओं और 1509 धान की आवक में कमी के चलते इस हफ्ते बासमती धान के भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। करनाल मंडी में 1509 धान का औसत भाव 2650 रुपये से बढ़कर 2955 रुपये तक पहुंच चुका है। अन्य मंडियों में भी भाव में वृद्धि देखी जा रही है। लाडवा मंडी में 1509 का भाव सबसे अधिक 2955 रुपये तक पहुंचा जबकि रादौर मंडी में यह 2870 रुपये के आसपास बना रहा।
क्या मिलेंगे पिछले साल जैसे भाव?
इस समय बाजार की स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि बासमती धान के भाव पिछले साल जैसे ऊंचाई पर पहुंच पाएंगे या नहीं। हालांकि निर्यात के आंकड़ों में वृद्धि और सरकार के MEP हटाने पर सकारात्मक निर्णय से 1509 धान के भाव में वृद्धि की संभावनाएं जरूर हैं।
हालांकि पूसा बासमती 1 धान का उत्पादन बढ़ने के कारण इस वैरायटी में पिछले साल जैसे भाव मिलने की संभावना कम है। वहीं अन्य किस्मों जैसे 1121 1718 और 1885 में भी भाव 400-500 रुपये तक कमजोर रह सकते हैं।