सितंबर के अंत में शुरू करें इस सब्जी की खेती, 1 महीने आमदनी हो जाएगी डबल

रबी सीजन आते ही किसान प्याज की खेती को लेकर उत्साहित हो जाते हैं. सितंबर के अंत में शुरू होने वाला मौसम प्याज की भरपूर फसल के लिए है। प्याज की खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकती है बशर्ते किसान सही बीज का चयन करें और फसल की देखभाल में सावधानी बरतें। गढ़वाल विश्वविद्यालय की शोधकर्ता अनुष्का सिंह के अनुसार पालम लोहित अर्का कल्याण और अर्का कीर्तिमान जैसी प्याज की किस्में खासकर पहाड़ी इलाकों में बेहतर पैदावार देती हैं। आइए जानते हैं प्याज की खेती की पूरी प्रक्रिया और इससे जुड़ी खास बातें।
प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें?
प्याज की अच्छी फसल के लिए सबसे पहले नर्सरी की तैयारी पर विशेष ध्यान देना होगा. नर्सरी तैयार करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट कोको पीट और मिट्टी का सही मिश्रण बनाना आवश्यक है। यह मिश्रण नर्सरी की मिट्टी को उपजाऊ बनाता है जिससे बीज तेजी से विकसित होते हैं। साथ ही बुआई से पहले बीजों को थीरम और कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करना चाहिए। इससे बीज फफूंदजनित रोगों से मुक्त रहते हैं और स्वस्थ पौधे उगते हैं।
प्याज की नर्सरी में बीज बोने के लगभग 50 दिनों के भीतर अंकुरण प्रक्रिया शुरू हो जाती है। 62 से 65 दिनों के बाद पौधे खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस अवधि के दौरान नर्सरी में नियमित रूप से पानी देना और तापमान की निगरानी करना भी है। प्याज की नर्सरी तैयार करते समय फसल की देखभाल में कोई भी लापरवाही फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।
खेत में पौधे कैसे लगाएं?
जब नर्सरी में प्याज के पौधे तैयार हो जाते हैं तो उन्हें खेत में लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. खेत में रोपण से पहले मिट्टी की अच्छी तरह जुताई की जाती है। खेत की जुताई से मिट्टी नरम हो जाती है जिससे पौधों को अपनी जड़ें फैलाने और पोषक तत्व प्राप्त करने में आसानी होती है।
रोपण के दौरान यह सुनिश्चित करना है कि पौधे एक-दूसरे से उचित दूरी पर लगाए जाएं। इसके लिए प्रत्येक कतार के बीच 50 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए. इस दूरी से पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है और उनका विकास बेहतर होता है। इसके अलावा फसल की बेहतर वृद्धि के लिए खेत में समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण भी आवश्यक है।
फसल पकने से 10 से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. इससे पौधे सूख जाते हैं और कटाई करना आसान हो जाता है। अगर समय रहते सिंचाई नहीं रोकी गई तो प्याज की फसल को नुकसान हो सकता है. कटाई के बाद प्याज के उचित भंडारण की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि फसल खराब न हो और उचित बाजार मूल्य मिले।
बीज का चयन एवं फसल की सफलता
प्याज की खेती में सफलता के लिए बीज का चयन सबसे भूमिका निभाता है। गढ़वाल विश्वविद्यालय की शोधकर्ता अनुष्का सिंह के अनुसार प्याज की पालम लोहित अर्का कल्याण और अर्का कीर्तिमान जैसी किस्में पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आदर्श हैं। इन किस्मों की विशेषता खराब मौसम और बीमारियों के बावजूद अच्छी पैदावार है।
इन किस्मों के बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उच्च गुणवत्ता वाले बीज फसल की पैदावार बढ़ाते हैं और बाजार में अच्छी मांग बनाए रखते हैं। यदि किसान सही बीज का चयन करें और फसल की देखभाल में आवश्यक तकनीकों का पालन करें तो वे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं बल्कि बाजार में अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं।
प्याज की खेती से कैसे कमाएं मोटा मुनाफा?
प्याज की खेती से मोटा मुनाफा कमाने के लिए सही तकनीकों और तरीकों का उपयोग करना है। इसके अलावा बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए सही समय पर फसल का उत्पादन और बिक्री करना भी है। त्योहारों और सर्दियों के दौरान प्याज की फसल की मांग विशेष रूप से अधिक होती है इसलिए सितंबर से शुरू होने वाले रबी सीजन में किसान प्याज उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
साथ ही सही समय पर कटाई और भंडारण पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर समय पर फसल की कटाई की जाए और सही तरीके से भंडारण किया जाए तो किसान इसे सही समय पर बाजार में बेच सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। प्याज की खेती में उचित निवेश और कड़ी मेहनत से किसानों को बेहतरीन परिणाम मिलते हैं और वे अपने कृषि व्यवसाय को सफल बना सकते हैं।