Success Story: इस किसान ने डेढ़ एकड़ में लगाई ऐसी फसल कि 2 महीने में कमाए 7 लाख रुपये ! पढ़ें सफलता की कहानियाँ

Farmer Success Story: खेती का मतलब है कि हमारी आंखों के सामने सबसे पहले मेहनतकश और पसीने से लथपथ किसान खड़ा होता है। खेती में आज भी किसानों को उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है जितनी राजा को। लेकिन अब टेक्नोलॉजी के आने से वहां के कई काम सरल और आसान हो गए हैं जिससे किसानों की मेहनत कम हो गई है और टेक्नोलॉजी की मदद से छोटे से छोटे क्षेत्र में भी किसान अब लाखों की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं रुपये का.
आपके पास जितनी जमीन है उससे कहीं ज्यादा आपके पास जो कृषि क्षेत्र है उसमें तकनीक के कुशल उपयोग और आधुनिक फसलों की खेती से किसान कम क्षेत्र में भी लाखों रुपये कमा रहे हैं।
इसी बात पर अगर हम देवराष्ट्र के कडेगांव तालुका के किसान जगन्नाथ मोरे का उदाहरण लें तो ये बात समझ में आ जाएगी. यह किसान महज दो महीने में महज डेढ़ एकड़ में सात लाख रुपये का मुनाफा कमाने में सफल रहा है. हम इस लेख में उनकी सफलता की कहानी देखेंगे।
तोरई की फसल ने जगन्नाथ राव को लखपति बना दिया
इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट यह है कि कडेगांव तालुका के देवराष्ट्र गांव के किसान जगन्नाथ महादेव मोरे ने डेढ़ एकड़ क्षेत्र में तोरी की फसल की खेती की और इस फसल के उत्पादन से उन्होंने 7 करोड़ का मुनाफा कमाया है. दो महीने में दस टन इस फसल का उत्पादन करके लाख रु.
तोरई सुनने में एक नया नाम है। लेकिन यह एक सब्जी वर्ग की फसल है और इसका उत्पादन आमतौर पर रोपण के एक महीने बाद शुरू होता है। अगर हम तोरई की फसल की अवधि पर नजर डालें तो यह रोपण से केवल दो महीने है।
प्रबंधन कैसे करें ?
जब जगन्नाथ मोरे ने खेती की तैयारी की दृष्टि से तोरई लगाने का निर्णय लिया तो उन्होंने डेढ़ एकड़ क्षेत्र में पहले से ही क्यारियां तैयार कर लीं और उस पर मल्चिंग पेपर बिछाकर एक-एक फीट की दूरी पर तोरई की फसल लगा दी। और रोपण के लिए उन्होंने वेलकम क्लोज़ नामक एक किस्म का चयन किया।
उन्होंने जल प्रबंधन के लिए ड्रिप सिंचाई का कुशलतापूर्वक उपयोग किया और उन्होंने फसल चक्र और आवश्यकता के अनुसार फसल छिड़काव की भी अच्छी योजना बनाई और एक महीने के भीतर ही उन्हें तोरई की फसल से उत्पादन मिलना शुरू हो गया। इस एक माह में उन्हें दस टन उत्पादन प्राप्त हुआ। इस फसल की कटाई प्रतिदिन करनी पड़ती है।
बिक्री प्रबंधन कैसे किया ?
जगन्नाथराव ने तोरई लगाने के बाद जब उत्पादन शुरू हुआ तो वे प्रतिदिन फसल काटते थे और सारा माल मुंबई के बाजार में भेजते थे जहां उनके द्वारा उगाई गई तोरई 70 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकती थी।
बाजार भाव अच्छा होने के कारण उन्हें इस डेढ़ एकड़ क्षेत्र में लगभग सात लाख रुपये का मुनाफा हुआ। इस तरह से देखें तो वे सब्जी की फसल के उत्पादन में कुशल हैं और इसी का फायदा उन्हें तोरी की खेती और इसके उत्पादन में मिला।
इस फसल से वे हर साल अच्छा मुनाफा कमाते हैं। खास बात यह है कि इस फसल की अवधि कम होती है और लागत भी कम आती है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फल का वजन अच्छा होने के कारण मुनाफा ज्यादा है.