ताइवानी पपीते की खेती से इस किसान ने कमाया 3 लाख का मुनाफा, यूट्यूब से सीखी खेती की तकनीक

देशभर के किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किसान धनीराम भी इस बदलाव की मिसाल हैं। धान, गेहूं और सरसों जैसी फसलें उगाने वाले धनीराम अब ताइवानी पपीता उगाकर लाखों कमा रहे हैं। उनकी सफलता की कहानी और ताइवानी पपीते की खेती की पूरी जानकारी यूट्यूब के माध्यम से मिली। फिलहाल वह तीन बीघे जमीन पर पपीते की खेती कर रहे हैं और 3 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा चुके हैं. आइए जानते हैं उनकी खेती की विधि और उससे जुड़ी जानकारी।
यूट्यूब से ताइवानी पपीते की खेती सीखी
एक दिन धनीराम ने यूट्यूब पर ताइवानी पपीता उगाने का तरीका देखा और इसे अपनाने का फैसला किया। सबसे पहले उन्होंने धान, गेहूं और सरसों जैसी फसलों की खेती की, लेकिन इससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा था। यूट्यूब पर पपीते की खेती से संबंधित वीडियो देखने के बाद उन्होंने शुरुआत में आधा बीघा जमीन पर ताइवानी पपीता उगाना शुरू किया। जब उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ तो उन्होंने खेती का रकबा तीन बीघे तक बढ़ा दिया।
ताइवानी पपीते की विशेषता यह है कि यह अन्य किस्मों की तुलना में आकार में बड़ा और स्वाद में मीठा होता है। इसीलिए बाजार में मांग अधिक रहती है. धनीराम ने बताया कि इस किस्म की खेती में लागत करीब 20,000 से 25,000 रुपये आती है, जबकि मुनाफा 3 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. यह ताइवानी पपीते की विशेषता और उसके बाजार मूल्य को दर्शाता है।
पपीते की खेती में उत्पादन कितना होता है?
धनीराम के मुताबिक ताइवानी पपीता उगाना बेहद आसान है। इस किस्म के एक पौधे की कीमत 25 रुपये से लेकर 20 रुपये के बीच होती है एक बीघे जमीन में करीब 300 पौधे लगाए जा सकते हैं. यदि ठीक से रखरखाव किया जाए तो ये पौधे प्रत्येक पौधे से 80 से 90 किलोग्राम पपीता पैदा करते हैं।
पपीते की खेती के लिए शुरुआत में खेत में गड्ढे खोदने चाहिए और उन गड्ढों में अच्छी तरह सड़ी हुई खाद डालनी चाहिए. फिर पपीते के पौधे लगा सकते हैं. पेड़ों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह देने के लिए पौधों के बीच लगभग 5 फीट की दूरी होनी चाहिए। पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए यह विधि अत्यंत है। ताइवानी पपीते के पौधे रोपाई के 6 महीने बाद ही फल देना शुरू कर देते हैं, जो अन्य फसलों की तुलना में काफी तेज है।
कम लागत, अधिक मुनाफ़ा
पपीते की खेती की एक और विशेषता यह है कि इसमें लागत अपेक्षाकृत कम आती है। धनीराम ने बताया कि तीन बीघे में पपीते की खेती करने में उन्हें सिर्फ 20,000 से 25,000 रुपये ही खर्च हुए, जबकि खेती से उन्हें 3 लाख रुपये तक का मुनाफा हुआ. इस तरह की खेती किसानों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो पारंपरिक फसलों से ज्यादा मुनाफा नहीं कमा सकते।
ताइवानी पपीते की मांग और बाज़ार
ताइवानी पपीते की एक और बड़ी खासियत यह है कि इसकी बाजार में काफी मांग रहती है। यह अपने बड़े आकार और मीठे स्वाद के कारण ग्राहकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसीलिए धनीराम जैसे किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जल्दी फल लगने और बेहतर उत्पादन के कारण ताइवानी पपीते की खेती किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
इसके अलावा, पपीते की यह किस्म लंबी दूरी तक सुरक्षित है जिससे इसे अन्य राज्यों या बड़े बाजारों में ले जाना आसान हो जाता है। यह गुणवत्ता इस फसल को किसानों के लिए और भी अधिक लाभदायक बनाती है।
पपीते की खेती किसानों को देती है नया विकल्प
नकदी फसलों की खेती के साथ, किसान अब केवल अनाज या पारंपरिक फसलों पर निर्भर नहीं हैं। बाराबंकी जिले में किसानों ने फलों की खेती को लाभ का धंधा बना लिया है। धनीराम जैसे किसानों ने ताइवानी पपीते की खेती करके साबित कर दिया है कि अगर सही जानकारी और तकनीक के साथ खेती की जाए तो बड़े पैमाने पर किसानों को इससे फायदा हो सकता है।
यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म ने किसानों को नई तकनीकों और खेती के नए तरीकों से जोड़ा है। धनीराम की कहानी दर्शाती है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से सीखी गई नई कृषि तकनीकें किसानों के जीवन में बदलाव ला सकती हैं। आज, ताइवानी पपीते की खेती में धनीराम की सफलता यह साबित करती है कि किसान अपने पारंपरिक तरीकों से बाहर निकलकर नकदी फसलों की ओर रुख करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं।