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किसानों की जिंदगी बदल देगी भैंस की ये नस्ल, बाल्टी भर के देती है एक टाईम का दूध

भदावरी भैंस आमतौर पर 6 से 8 लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 14 से 18 प्रतिशत होती है। यह मुर्रा भैंस के मुकाबले कम दूध देती है लेकिन इसके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। इस नस्ल की भैंस सालाना औसतन 1300 से 1500 लीटर दूध देती है लेकिन अगर इसे उचित आहार दिया जाए तो दूध देने की क्षमता और भी बढ़ सकती है।
 
Bhadawari Buffalo

Bhadawari Buffalo: भदावरी भैंस भारतीय भैंसों की एक प्रसिद्ध नस्ल है। यह नस्ल खासकर आगरा और इटावा जैसे क्षेत्रों में पाई जाती है। भदावरी भैंस को अन्य नस्लों की तुलना में पालना आसान है। इसका वजन कम और आकार छोटा होता है जिससे इसे सीमित संसाधनों वाले किसान भी आसानी से पाल सकते हैं।

भदावरी भैंस आमतौर पर 6 से 8 लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 14 से 18 प्रतिशत होती है। यह मुर्रा भैंस के मुकाबले कम दूध देती है लेकिन इसके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। इस नस्ल की भैंस सालाना औसतन 1300 से 1500 लीटर दूध देती है लेकिन अगर इसे उचित आहार दिया जाए तो दूध देने की क्षमता और भी बढ़ सकती है।

भदावरी भैंस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी भी जलवायु में आसानी से ढल जाती है। इसके अलावा यह कम चारे में भी अच्छी गुणवत्ता वाला दूध दे सकती है। भदावरी नस्ल के पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत अच्छी होती है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता इस भैंस की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

भदावरी भैंस का आहार

भदावरी भैंस का आहार मुख्य रूप से चारा और दाने पर निर्भर करता है। इसकी देखभाल के लिए यह आवश्यक है कि उसे पौष्टिक आहार दिया जाए। चारे में घास चोकर और दाने का मिश्रण होना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को हमेशा ताजा पानी भी उपलब्ध कराना चाहिए। भदावरी भैंस की विशेषता है कि यह कम भोजन में भी अच्छी गुणवत्ता वाला दूध दे सकती है।

पशुपालन के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जानवरों को अच्छे से हवादार और साफ स्थान पर रखा जाना चाहिए। पशु शेड को साफ रखना चाहिए और उनके भोजन और पानी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।

भदावरी और मुर्रा भैंस में अंतर

भदावरी भैंस और मुर्रा भैंस में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। भदावरी भैंस कम दूध देती है लेकिन इसके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। वहीं मुर्रा भैंस अधिक दूध देती है लेकिन उसके दूध में वसा की मात्रा भदावरी भैंस के मुकाबले कम होती है। इसीलिए अगर किसी पशुपालक को अधिक वसा या घी चाहिए तो भदावरी भैंस एक बेहतर विकल्प हो सकती है।

भदावरी भैंस की विशेषताएं

भदावरी भैंस का शरीर मध्यम आकार का होता है। यह आगे से पतली और पीछे से चौड़ी होती है। इसकी सींग चपटे मोटे और पीछे तथा अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। नर का वजन 400 से 500 किलोग्राम और मादा का वजन 350 से 400 किलोग्राम होता है।

इस नस्ल की भैंसें ज्यादातर आगरा जिले के भदावर गांव में पाई जाती हैं। यमुना की चंबल घाटी में इटावा और ग्वालियर में भी ये भैंसें देखने को मिलती हैं। भदावरी भैंस का मुख्य रंग लाल भूरा होता है।

भदावरी भैंस का पालन करना क्यों फायदेमंद है?

अगर कोई किसान भदावरी भैंस पालना चाहता है तो यह आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद है। भदावरी भैंस का दूध बाजार में उच्च वसा के कारण अधिक महंगा बिकता है। इससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।

भारत में कुल दूध उत्पादन का लगभग 55 प्रतिशत भैंसों से आता है। इसके अलावा भैंस का दूध विशेष रूप से खीर दही पेड़ा आदि बनाने में उपयोग होता है। इसका दूध गाढ़ा होता है और इसमें वसा की मात्रा अधिक होती है।

भदावरी भैंस कहाँ से खरीदें?

भदावरी भैंस खरीदने के लिए किसान स्थानीय बाजार या पशुपालन केंद्रों का रुख कर सकते हैं। भदावरी भैंस की कीमत उसकी उम्र स्वास्थ्य और दूध देने की क्षमता पर निर्भर करती है। आमतौर पर इनकी कीमत 30000 से 60000 रुपये तक होती है।

भदावरी भैंस के पालन की चुनौतियाँ

हालांकि भदावरी भैंस के पालन में कई फायदे हैं लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इन भैंसों को स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की आवश्यकता होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता तो अच्छी होती है लेकिन फिर भी उन्हें नियमित टीकाकरण और चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता होती है।