सरसों की फसल में रुखड़ी की समस्या से बचने के उपाय, किसान भाइयों के अनुभव से सीखें

Delhi Highlights, नई दिल्ली: किसानों के लिए सरसों की फसल बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन इस फसल को कई प्रकार के खरपतवारों का सामना करना पड़ता है जिनमें से एक प्रमुख समस्या है रुखड़ी (मरगज) का प्रकोप। यह खरपतवार फसल की जड़ों से पानी और पोषक तत्वों को खींच लेती है जिससे फसल की बढ़वार रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। यह समस्या खासतौर पर दिसंबर से फरवरी के बीच अधिक होती है जब सरसों की फसल पूरी तरह से बढ़ने की प्रक्रिया में होती है।
रुखड़ी की समस्या से निपटने के उपाय
हमने राजस्थान के अलवर जिले के एक किसान से बातचीत की जो 80 से 100 एकड़ में सरसों की खेती करते हैं। उन्होंने रुखड़ी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक बहुत ही प्रभावी उपाय साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खेत में 10 मिलीग्राम ग्लाइफोसेट दवा का प्रयोग किया जिसे पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव किया। यह दवा रुखड़ी की जड़ों को नष्ट कर देती है और सरसों की फसल को नुकसान से बचाती है।
छिड़काव से पहले उन्होंने दवा को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखा जिससे दवा और अधिक प्रभावी हो गई। इसका छिड़काव करने के बाद उनकी फसल में कोई पीला पन नहीं आया और फसल की नमी और रंग बरकरार रहे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया के बाद उनकी फसल की बढ़वार सुचारू रूप से जारी रही।
सही समय पर करें छिड़काव
किसान ने बताया कि इस दवा का छिड़काव पहली सिंचाई के दौरान करना सबसे प्रभावी होता है। मात्र 5-6 मिलीलीटर ग्लाइफोसेट को प्रति टंकी पानी में मिलाकर इसके साथ जाइटोनिक सुरक्षा का भी प्रयोग किया जा सकता है। इससे रुखड़ी और मरगज की समस्या को पूरी तरह से नियंत्रण में रखा जा सकता है और फसल की वृद्धि पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
रुखड़ी का फसल पर प्रभाव
रुखड़ी एक प्रकार की सफेद खरपतवार होती है जो क्लोरोफिल नहीं बनाती। यह सरसों की जड़ों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है और मिट्टी से नमी और पोषक तत्वों को खींच लेती है जिससे फसल कमजोर हो जाती है और उसकी उपज कम हो जाती है। कई बार रुखड़ी का प्रकोप इतना बढ़ जाता है कि फसल की उपज में 50% तक की गिरावट आ जाती है। किसान भाइयों को इस खरपतवार से बचने के लिए समय पर उपाय करने की आवश्यकता है ताकि उनकी फसल सुरक्षित रह सके और उन्हें अधिक उत्पादन मिल सके।
अन्य किसानों के अनुभव
हमने अन्य किसानों से भी बात की जिन्होंने इस दवा का प्रयोग करके रुखड़ी पर नियंत्रण पाया। उन्होंने बताया कि इस उपाय से फसल की नमी और पोषक तत्वों को नुकसान नहीं हुआ और उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। कई किसान जिन्होंने यह उपाय अपनाया उन्होंने अपने खेत में रुखड़ी के प्रभाव को लगभग समाप्त कर दिया और सरसों की पैदावार में वृद्धि हासिल की।
आर्थिक नुकसान से बचाव
रुखड़ी और मरगज जैसी खरपतवारें सरसों की खेती के लिए एक बड़ा खतरा हैं। यदि समय पर इनका समाधान नहीं किया गया तो किसान भाइयों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस दवा का सही समय पर और उचित मात्रा में प्रयोग करना बेहद जरूरी है ताकि फसल की उपज को सुरक्षित रखा जा सके।