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Gehu Ki Kheti : किसानों की आय होगी अब डबल, गेहूं की बुवाई से पहले जरूर करें ये काम

मिट्टी का सैंपल लेने के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले मिट्टी की थैली के ऊपर किसान को अपना नाम गांव का नाम खेत की पहचान खसरा संख्या विकासखंड और तहसील का नाम लिखना चाहिए।
 
Gehu Ki Kheti

Gehu Ki Kheti : किसानों के लिए मिट्टी की जांच कराना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह प्रक्रिया कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है। हाल ही में राजकीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष राहुल कुमार ने बताया कि धान की फसल कटाई के बाद मिट्टी की जांच कराना आवश्यक है। इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है। इसके आधार पर किसान सही उर्वरक का चुनाव कर सकते हैं।

मिट्टी के सैंपल लेने की प्रक्रिया

मिट्टी का सैंपल लेने के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले मिट्टी की थैली के ऊपर किसान को अपना नाम गांव का नाम खेत की पहचान खसरा संख्या विकासखंड और तहसील का नाम लिखना चाहिए। इसके साथ ही किसान को यह भी बताना चाहिए कि अब खेत में अगली फसल कौन सी ली जानी है। यह जानकारी मिट्टी की जांच में सहायता करेगी।

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इसके बाद मिट्टी का एक ढेर बनाकर उसे चार भागों में बांट लें। आमने-सामने के दो भाग की मिट्टी अलग निकालकर फिर से अच्छी तरह मिलाएं और ढेर बनाकर उसी प्रक्रिया को दोहराएं। यह प्रक्रिया तब तक करें जब तक मिट्टी का वजन आधा किलो न रह जाए। अंत में इस मिट्टी को एक साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला में भेज दें।

राहुल कुमार ने बताया कि जिस खेत से मिट्टी का सैंपल लेना है वहां 8 से 10 जगह पर 6 इंच लंबा 4 इंच चौड़ा और 6 इंच गहरा गड्ढा करें। इसके बाद खुरपी से गड्ढे की दीवार से लगभग 2.5 सेंटीमीटर की परत ऊपर से नीचे तक काटकर अलग कर लें। फिर अलग-अलग जगहों से इकट्ठी की गई मिट्टी को साफ कपड़े में अच्छी तरह मिला लें।

किसान अक्सर बिना जांच किए ऐसे उर्वरक डाल देते हैं जिनकी मिट्टी को आवश्यकता नहीं होती। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बिगड़ता है। बेवजह रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को नुकसान होता है। इससे फसल उत्पादन भी कम होता है और किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

मृदा स्वास्थ्य बिगड़ना एक गंभीर समस्या है। यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। लगातार फसलें उगाने से मिट्टी की उर्वरकता कम हो जाती है। कई जगहों पर मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा में गिरावट आ रही है। इसके अलावा फास्फेट पोटाश सल्फर जिंक लोहा कॉपर और मैंगनीज जैसे जरूरी तत्व मिट्टी से गायब हो रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि किसान हर 6 महीने में एक बार मिट्टी की जांच कराएं।

मिट्टी के परीक्षण के लाभ

मिट्टी के परीक्षण से किसानों को कई लाभ होते हैं। सबसे पहले इससे किसानों को पता चलता है कि उनकी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं। इसके बाद वे सही उर्वरक का चुनाव कर सकते हैं। इससे न केवल फसल उत्पादन में वृद्धि होती है बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरता है।

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दूसरा लाभ यह है कि मिट्टी की जांच के बाद किसान बेहतर फसल चक्र अपनाने में सक्षम होते हैं। वे यह जान सकते हैं कि अगली फसल के लिए किस प्रकार की तैयारी करनी है। इससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है और किसानों की आय में वृद्धि होती है।

तीसरा लाभ यह है कि मिट्टी की जांच से पर्यावरण की रक्षा होती है। जब किसान सही मात्रा में उर्वरक का उपयोग करते हैं तो इससे मिट्टी के सूक्ष्मजीवों का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। यह दीर्घकालिक खेती के लिए महत्वपूर्ण है।