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किसानों को लेकर WHO ने दी बड़ी चेतावनी, खून में खतरनाक कीटनाशक पाए जाने का खुलासा, स्वास्थ्य पर मंडराया बड़ा संकट

शोध में पाया गया कि इन किसानों के शरीर में 10 खतरनाक कीटनाशकों के अवशेष पाए गए हैं। इनमें डायलकाइल फॉस्फेट (डीएपी) मेटाबोलाइट्स की मात्रा बहुत अधिक पाई गई। डीएपी मेटाबोलाइट्स शरीर में एसिटाइलकोलिनेस्टरेज एंजाइम की कमी का कारण बनते हैं जो न्यूरोलॉजिकल क्षति का संकेत देता है।
 
Dangerous Pesticides

किसानों के खून में खतरनाक कीटनाशक

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और उस्मानिया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक ताजा शोध ने तेलंगाना के किसानों के स्वास्थ्य पर गहराता संकट उजागर किया है। शोध में यह पाया गया कि किसानों के खून और यूरिन में खतरनाक कीटनाशकों की मौजूदगी है जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यह अध्ययन 2021 से 2023 के बीच तेलंगाना के यदाद्री भुवनगिरि विकाराबाद और संगारेड्डी जिलों के पांच-पांच गांवों में किया गया। इसमें करीब 500 किसानों के खून और यूरिन के नमूने लिए गए और विश्लेषण से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए।

किसानों के खून में मिले खतरनाक कीटनाशक

शोध में पाया गया कि इन किसानों के शरीर में 10 खतरनाक कीटनाशकों के अवशेष पाए गए हैं। इनमें डायलकाइल फॉस्फेट (डीएपी) मेटाबोलाइट्स की मात्रा बहुत अधिक पाई गई। डीएपी मेटाबोलाइट्स शरीर में एसिटाइलकोलिनेस्टरेज एंजाइम की कमी का कारण बनते हैं जो न्यूरोलॉजिकल क्षति का संकेत देता है। इसके कारण किसानों में अल्जाइमर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह न केवल किसानों के स्वास्थ्य के लिए घातक है बल्कि कृषि क्षेत्र के भविष्य के लिए भी गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।

स्वास्थ्य पर खतरनाक असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि किसान कुल 28 विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं जिनमें से 11 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अत्यधिक घातक श्रेणी में रखा है। ये कीटनाशक किसानों के स्वास्थ्य पर बेहद बुरा प्रभाव डालते हैं। इनके संपर्क में आने से किसानों को सांस लेने में कठिनाई सीने में दर्द त्वचा और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक कीटनाशकों के संपर्क में रहने से अल्जाइमर और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

किसानों के स्वास्थ्य पर यह असर केवल शारीरिक तकलीफों तक सीमित नहीं है बल्कि मानसिक और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। शोध में यह स्पष्ट हुआ कि कीटनाशकों का लगातार उपयोग और सुरक्षा उपायों की अनदेखी से किसानों की सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है।

सुरक्षा उपायों की कमी और अनदेखी

रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश किसान कीटनाशकों का इस्तेमाल करते समय आवश्यक सुरक्षा उपायों की पूरी तरह अनदेखी करते हैं। वे बिना दस्ताने और मास्क के कीटनाशकों को नंगे हाथों से मिलाते हैं और छिड़काव करते हैं। इससे कीटनाशक उनके शरीर में सीधे सांस और त्वचा के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा अनुचित भंडारण और असुरक्षित निपटान के कारण कीटनाशक पर्यावरण में फैलते हैं जो न केवल किसानों के लिए बल्कि उनके परिवारों और आसपास के समुदायों के लिए भी खतरा है।

कीटनाशकों के संपर्क में आने से किसानों के शरीर में जो परिवर्तन हो रहे हैं उनका असर लंबे समय तक बना रह सकता है। इसके साथ ही कीटनाशकों के गलत उपयोग और सुरक्षा के उपाय न करने से किसानों का जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है। यह समस्या केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी किसानों के स्वास्थ्य पर कीटनाशकों के उपयोग का असर देखा जा सकता है।

WHO द्वारा घातक श्रेणी में रखे गए कीटनाशक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिन कीटनाशकों को अत्यधिक घातक श्रेणी में रखा है वे किसानों के लिए सीधा खतरा बन रहे हैं। इन कीटनाशकों का नियमित उपयोग न केवल तत्काल शारीरिक समस्याएं पैदा करता है बल्कि दीर्घकालिक बीमारियों का भी कारण बन सकता है। इसके अलावा यह तथ्य भी सामने आया है कि किसान इन कीटनाशकों का इस्तेमाल अनजाने में और बिना किसी उचित जानकारी के कर रहे हैं जो समस्या को और भी गंभीर बना देता है।