नेशनल हाईवे पर GNSS बेस्ड टोल कलेक्शन, अब सेटेलाइट से कटेगा टोल

Delhi highlights (ब्यूरो)। राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करते समय टोल टैक्स (toll tax) का भुगतान करना अनिवार्य है। यह कर राज्य और शहर की सीमा से बाहर जाने या अंदर आने पर चुकाया जाता है। शुरुआत में लोगों को टोल प्लाजा पर लंबी कतारों में लगकर मैन्युअल तरीके से टोल चुकाना पड़ता था। यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली और असुविधाजनक थी लेकिन बाद में फास्टैग की सुविधा आई जिसने इस प्रक्रिया को आसान और तेज बना दिया।
टोल कलेक्शन में बदलाव की शुरुआत
फास्टैग की शुरुआत के साथ टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से मुक्ति मिली और लोगों ने बिना रुके टोल प्लाजा पार करना शुरू किया। इसने टोल कलेक्शन सिस्टम को पूरी तरह से बदल दिया। फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जो रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक पर आधारित है। यह टोल चुकाने का एक स्वचालित और सरल तरीका है जिसमें वाहन पर लगा फास्टैग स्कैन होते ही टोल राशि सीधे बैंक खाते से कट जाती है।
GNSS बेस्ड टोल सिस्टम
हालांकि अब टोल टैक्स चुकाने के लिए एक और बड़ा बदलाव आ रहा है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में राज्यसभा में घोषणा की कि भारत में कुछ चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर GNSS बेस्ड टोल सिस्टम लागू किया जाएगा। GNSS (Global Navigation Satellite System) एक सेटेलाइट आधारित सिस्टम है जो वाहन की लोकेशन ट्रैक कर टोल राशि की गणना करेगा। इस नई प्रणाली के आने से फास्टैग की जरूरत कम हो जाएगी और टोल बूथ पर कतारों की समस्या समाप्त हो जाएगी।
GNSS सिस्टम कैसे करेगा काम?
GNSS सिस्टम सेटेलाइट के जरिए काम करेगा जहां वाहन के नेविगेशन डाटा को ट्रैक कर यह पता लगाया जाएगा कि वाहन ने कितनी दूरी तय की है। इसके बाद उसी के आधार पर टोल टैक्स की राशि तय की जाएगी और यह राशि सीधे ऑनलाइन काट ली जाएगी। इसका मतलब यह है कि ड्राइवर को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और टोल राशि स्वतः ही वाहन की यात्रा दूरी के आधार पर काट ली जाएगी।
क्या GNSS सिस्टम से फास्टैग पूरी तरह खत्म हो जाएगा?
GNSS सिस्टम के लागू होने की खबर से यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे फास्टैग पूरी तरह से खत्म हो जाएगा? इस पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि GNSS सिस्टम केवल कुछ चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि फिलहाल देश के सभी राजमार्गों पर GNSS सिस्टम नहीं आएगा। ऐसे में जिन हाईवे पर GNSS सिस्टम नहीं होगा वहां फास्टैग के जरिए ही टोल चुकाना पड़ेगा।
GNSS और फास्टैग
GNSS सिस्टम के लागू होने के बाद एक हाइब्रिड मॉडल पर काम किया जाएगा जहां कुछ हाईवे पर GNSS सिस्टम काम करेगा और कुछ पर फास्टैग का इस्तेमाल जारी रहेगा। इससे लोगों को यह विकल्प मिलेगा कि वे किस तरीके से टोल चुकाना चाहते हैं। अगर कोई GNSS सिस्टम से टोल नहीं चुकाना चाहता तो वह फास्टैग का उपयोग कर सकेगा।