अच्छा CIBIL Score ही काफी नहीं, लोन लेते समय इन तीन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो भूल जाएंगे लोन

जब आप किसी बैंक से पर्सनल, होम या टैक्स लोन लेते हैं तो ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि सिबिल स्कोर ही सबसे महत्वपूर्ण है। यह सच है कि आपके लोन के लिए CIBIL स्कोर जरूरी है, लेकिन बैंक और वित्तीय संस्थान लोन अप्रूवल के दौरान केवल CIBIL स्कोर पर निर्भर नहीं रहते हैं। इसके अलावा वे आपके वित्तीय स्वास्थ्य के अन्य उपायों पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे ऋण-से-आय अनुपात (DTI), ईएमआई/एनएमआई अनुपात और ऋण-से-मूल्य अनुपात (LTV)। आइए इन अनुपातों को विस्तार से समझें और जानें कि ये आपके ऋण अनुमोदन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
ऋण-से-आय (DTI) अनुपात क्या है?
ऋण-से-आय अनुपात (Debt-to-Income Ratio - DTI) वह अनुपात होता है जिसमें आपके मासिक ऋण भुगतानों की तुलना आपकी मासिक आय से की जाती है। इसका उद्देश्य यह जानना होता है कि आपकी कुल आय का कितना हिस्सा मासिक कर्जों को चुकाने में जा रहा है। बैंक इस अनुपात की मदद से यह तय करता है कि आपके ऊपर कितना वित्तीय भार है और आप कितना और कर्ज उठाने में सक्षम हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपका DTI अनुपात कम है, तो बैंक यह समझेगा कि आपके पास अपनी मासिक आय से पर्याप्त राशि बचती है जिससे आप लोन चुकाने में सक्षम होंगे। इससे लोन मिलने की संभावना अधिक होती है। वहीं, यदि DTI अनुपात ज्यादा है, तो बैंक आपको लोन देने में हिचकिचा सकते हैं।
ईएमआई/एनएमआई अनुपात क्या होता है?
ईएमआई/एनएमआई अनुपात (EMI-to-Net Monthly Income Ratio - NMI) के माध्यम से बैंक यह गणना करता है कि आपकी शुद्ध मासिक आय का कितना हिस्सा आपकी मौजूदा ईएमआई (EMI) और प्रस्तावित लोन की ईएमआई को चुकाने में जाएगा। यह अनुपात आपके लोन स्वीकृति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यदि आपकी ईएमआई/एनएमआई 50% से कम है, तो बैंक आपको आसानी से लोन दे सकता है। लेकिन अगर यह अनुपात 55% या उससे अधिक है, तो बैंक लोन देने में झिझक सकता है या फिर उच्च ब्याज दरें लगा सकता है। इसके जरिए बैंक यह सुनिश्चित करता है कि आपकी वित्तीय स्थिति लोन चुकाने के लिए पर्याप्त है।
ऋण-से-मूल्य (LTV) अनुपात का महत्त्व
ऋण-से-मूल्य (Loan-to-Value - LTV) अनुपात विशेष रूप से गृह ऋण या संपत्ति से संबंधित लोन के मामलों में महत्वपूर्ण होता है। यह अनुपात उस संपत्ति के मूल्य की तुलना आपके लोन की राशि से करता है, जिसे आप गिरवी रखने वाले होते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि एलटीवी अनुपात कम है, तो इसका मतलब है कि आपकी संपत्ति का मूल्य आपके द्वारा लिए गए लोन से अधिक है, जो आपके लिए एक लाभकारी स्थिति होती है। इससे बैंक को जोखिम कम लगता है, और वे आपके लोन को स्वीकृत करने के लिए तैयार होते हैं। यदि एलटीवी अनुपात ज्यादा है, तो बैंक अधिक सावधानी बरत सकता है या उच्च ब्याज दरें लागू कर सकता है।
सिबिल स्कोर और उसका प्रभाव
CIBIL स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है, जो 300 से 900 तक हो सकती है। यह स्कोर यह दर्शाता है कि आप वित्तीय लेनदेन में कितने विश्वसनीय हैं। सिबिल स्कोर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, पुराने लोन, और क्रेडिट कार्ड बिलों के आधार पर तय होता है।
यदि आप समय पर अपने कर्ज और क्रेडिट कार्ड के भुगतान करते हैं, तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा बना रहता है। लेकिन अगर आप डिफॉल्ट करते हैं, यानी समय पर भुगतान नहीं कर पाते, तो आपका सिबिल स्कोर गिर जाता है। अच्छे सिबिल स्कोर से आपको न केवल लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि आपको कम ब्याज दरों पर भी लोन मिल सकता है।
अच्छे सिबिल स्कोर के लाभ
अच्छा सिबिल स्कोर रखने के कई फायदे होते हैं। सबसे पहले, आपको आसानी से लोन मिल सकता है। यदि आपका सिबिल स्कोर 750 या उससे अधिक है, तो बैंकों को आप पर अधिक भरोसा होता है और वे आपके लिए लोन की शर्तें भी अनुकूल बना सकते हैं।
कम ब्याज दर:* आपके अच्छे सिबिल स्कोर के कारण बैंक आपको कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर सकते हैं, जिससे आपकी ईएमआई भी कम होगी।
प्री-अप्रूव्ड लोन:* कई बार अच्छे सिबिल स्कोर के आधार पर आपको प्री-अप्रूव्ड लोन मिल सकता है, जो तुरंत स्वीकृत हो जाता है।
इंस्टेंट लोन:* सिबिल स्कोर अच्छा होने पर आपको इंस्टेंट लोन की सुविधा भी मिल सकती है, जहां आपके खाते में कुछ ही मिनटों में लोन की राशि आ जाती है।
खराब CIBIL स्कोर के नुकसान
यदि आपका सिबिल स्कोर खराब है, तो आपको कई वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सबसे पहले, आपको बैंक से लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। भले ही बैंक आपको लोन दे दें, पर ब्याज दर अधिक हो सकती है। इसके अलावा, प्रीमियम भी ज्यादा हो सकता है।
लोन मिलने में देरी:* खराब सिबिल स्कोर के कारण लोन मिलने में अधिक समय लग सकता है।
उच्च ब्याज दर:* सिबिल स्कोर खराब होने पर आपको अधिक ब्याज दरों पर लोन लेना पड़ सकता है।
प्रीमियम की अधिकता:* होम या कार लोन जैसी सुविधाओं के लिए आपको अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है।