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Hindenburg Research: भारत को लेकर हिंडनबर्ग की चेतावनी, इस कंपनी के बारे में होगा बड़ा खुलासा ?

Hindenburg Research New Tweet: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर भारत को लेकर चेतावनी दी है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को एक ट्वीट कर हलचल मचा दी और इस पोस्ट में भारत पर एक नई रिपोर्ट की संभावना जताई गई.

 
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Hindenburg research report: भारत के दूसरे गारगंज अमीर आदमी गौतम अडानी 24 जनवरी 2023 को कभी नहीं भूलेंगे। उसी दिन अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी समूह पर एक सनसनीखेज रिपोर्ट जारी की जिसने न केवल अदानी समूह के शेयरों को तेजी से नीचे गिरा दिया बल्कि पूरे देश के शेयर बाजारों को प्रभावित किया। तो अब इसी हिंडेनबर्ग ने एक बार फिर भारत को लेकर चेतावनी दी है. अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को ट्वीट कर भारत पर एक नई रिपोर्ट की भविष्यवाणी कर हलचल मचा दी।

भारत को लेकर हिंडनबर्ग की चेतावनी

हिंडनबर्ग ने चेतावनी दी कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है. लेकिन शॉर्ट सेलर ने विस्तृत जानकारी साझा नहीं की लेकिन उनकी चेतावनी से अब यह माना जा रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च एक बार फिर किसी भारतीय कंपनी के बारे में बड़ा खुलासा करेगी। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने पोस्ट में लिखा 'भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है।'

हिंडनबर्ग का अडानी पर बड़ा आरोप

पिछले साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने न सिर्फ औद्योगिक जगत बल्कि भारतीय शेयर बाजार को भी सदमे में डाल दिया था. जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें अदानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया जिससे कंपनी के शेयर की कीमत में भारी गिरावट आई।

Hindenburg Research में समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि अडानी ने अपने शेयर की कीमतें बढ़ा दीं और रिपोर्ट जारी होने के बाद अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों के 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के शेयरों में भारी गिरावट आई।


24 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप पर आई रिपोर्ट के बाद सभी शेयरों में भारी गिरावट आई जिसके बाद कंपनी की वैल्यूएशन में भी भारी गिरावट आई। हालात ऐसे हो गए कि कुछ ही दिनों में अडानी ग्रुप की वैल्यूएशन 86 अरब डॉलर गिर गई। बाद में शेयर की कीमतों में भारी गिरावट के कारण समूह के विदेशी-सूचीबद्ध बांडों की बड़े पैमाने पर बिक्री हुई।