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RBI ने इस काम के लिए बैंकों को दी खुली छूट, अब पैसा जमा करना होगा फायदे सौदा!

 
RBI

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों को अब जमा और ऋण पर ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए पूरी छूट दे दी है। यह बदलाव न केवल बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देगा बल्कि ग्राहकों को भी नए अवसर प्रदान करेगा। आइए इस बदलाव के सभी पहलुओं का विश्लेषण करते हुए जानते हैं कि यह आम आदमी के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है।

बैंकों में एफडी या ऋण की ब्याज दरों को विनियमित करना
बैंकों में जमा और ऋण पर ब्याज दरों को अब विनियमित कर दिया गया है जिसका अर्थ है कि बैंक अब स्वतंत्र रूप से ब्याज दरें तय कर सकते हैं। यह निर्णय RBI गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषित किया गया। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य बैंकों को अधिक लचीला और प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है, ताकि वे ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक योजनाएं प्रस्तुत कर सकें।

बैंक अब अपनी खुद की व्यावसायिक रणनीति के आधार पर ब्याज दरों को तय करने में सक्षम होंगे। इसका सीधा प्रभाव यह होगा कि जब बैंकों को अधिक जमा राशि की आवश्यकता होगी तो वे जमा पर ब्याज दरों को बढ़ा सकते हैं जिससे ग्राहकों को अधिक लाभ मिल सके। वहीं अगर बैंक ऋण की मांग को पूरा करने के लिए अपने ऋण उत्पादों की ब्याज दरों को समायोजित करना चाहते हैंतो वे ऐसा भी कर सकते हैं।

कैसे मिलेगा आम आदमी को लाभ?
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि ग्राहक अब बेहतर ब्याज दरों का लाभ उठा सकेंगे। जब बैंकों को अधिक जमा राशि की आवश्यकता होगी तो वे जमा पर ब्याज दरों को बढ़ाएंगे जिससे ग्राहकों को अपनी जमा पूंजी पर अधिक रिटर्न मिलेगा। उदाहरण के तौर पर यदि कोई बैंक अपनी एफडी (Fixed Deposit) योजनाओं पर ब्याज दर बढ़ाता है तो ग्राहक अधिक एफडी करने के लिए प्रेरित होंगे जिससे उनकी बचत राशि भी बढ़ेगी।

इसके अलावा ऋण पर ब्याज दरों में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। जब बैंक ऋण उत्पादों की ब्याज दरों को समायोजित करेंगे तो ग्राहकों को सस्ते दरों पर ऋण मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। यह उन लोगों के लिए लाभकारी होगा जो नए घर वाहन या अन्य जरूरतों के लिए ऋण लेना चाहते हैं।

बैंकों को क्या करना चाहिए?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को सलाह दी है कि वे जमा राशि जुटाने के लिए अनूठी और आकर्षक योजनाएं पेश करें। बैंकों को अब कोर बैंकिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसमें मुख्य व्यवसाय जमा राशि जुटाना और उसे सही लोगों को ऋण देना शामिल है।

बैंकों के पास अब अपनी व्यावसायिक रणनीति को अधिक स्वतंत्र रूप से तय करने का अवसर होगा। उन्हें ऐसे उत्पाद और सेवाएं लाने चाहिए जो ग्राहकों के लिए लाभदायक हों और उन्हें बैंक में धन जमा करने के लिए प्रेरित करें। उदाहरण के तौर पर बैंक नवीनता के साथ नए एफडी उत्पाद, रिटायरमेंट योजनाएं और अन्य बचत योजनाएं पेश कर सकते हैं जो ग्राहकों के लिए आकर्षक हों।

बैंकों के लिए चुनौतियाँ
हालांकि यह स्वतंत्रता बैंकों के लिए फायदेमंद हो सकती है लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया है कि अल्पकालिक गैर-खुदरा जमा और अन्य ऋण साधनों का सहारा लेने से बैंकों में ढांचागत तरलता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए बैंकों को घरेलू वित्तीय बचत जुटाने और अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।