500 रुपये के नोट को लेकर RBI का बड़ा खुलासा, 2000 नोट बंदी के बाद सबसे ज्यादा होता है ये काम

RBI Report on 500 Rupee Note: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है जिसमें कई जानकारियाँ सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 2024 तक बढ़कर 86.5 प्रतिशत हो गई है। यह एक साल पहले की अवधि में 77 प्रतिशत थी। इस उछाल का मुख्य कारण पिछले साल मई में 2000 रुपये के नोट को वापस लेना बताया गया है।
500 रुपये के नोट की बढ़ती हिस्सेदारी
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी में हुई वृद्धि को समझने के लिए हमें पिछले वर्ष के घटनाक्रम पर गौर करना होगा। मई 2023 में 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का निर्णय लिया गया था। इसके परिणामस्वरूप 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी एक साल पहले की 10.8 प्रतिशत से घटकर केवल 0.2 प्रतिशत रह गई है। इसके विपरीत 500 रुपये के नोटों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है।
नोट छापने पर खर्च और उसकी वृद्धि
वित्त वर्ष 2023-24 में रिजर्व बैंक ने नोट छापने पर 5101 करोड़ रुपये खर्च किए जो पिछले साल के 4682 करोड़ रुपये से अधिक है। यह खर्च नोटों की बढ़ती मांग और मुद्रास्फीति के प्रभाव को दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार 500 रुपये के नोटों की मात्रा 5.16 लाख रही जबकि 10 रुपये के नोटों की संख्या 2.49 लाख थी। इस वित्तीय वर्ष में नोटों की कुल संख्या और मूल्य में क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 3.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
नकली नोटों की पहचान
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में नकली नोटों की संख्या पर भी ध्यान दिया गया है। 2000 रुपये के नोटों की वापसी के दौरान 26000 से अधिक नकली नोट पकड़े गए जो एक साल पहले के 9806 नकली नोटों से काफी अधिक है। हालांकि 500 रुपये के नोटों की संख्या में पकड़े गए नकली नोटों की संख्या में कमी आई है। पिछले वर्ष के 91110 नकली नोटों की तुलना में इस वर्ष 85711 नकली नोट पकड़े गए हैं।
2000 रुपये के नोट की वापसी की वजह
2000 रुपये के नोटों की वापसी की वजह भी रिपोर्ट में स्पष्ट की गई है। 2016 में नोटबंदी के बाद शुरू किए गए इस मूल्यवर्ग के लगभग 89 प्रतिशत नोट चार साल से अधिक समय से चलन में थे और उनकी जगह नई करेंसी की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इसके अलावा 2000 रुपये के नोट का लेनदेन में आमतौर पर इस्तेमाल नहीं होता था। रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के बाद 2 हजार रुपये के 97.96 फीसदी नोट ही वापस आए हैं जबकि लगभग 7261 करोड़ रुपये के नोट अभी भी लोगों के पास हैं।
डिजिटल भुगतान और नकद की प्रासंगिकता
रिजर्व बैंक ने एक सर्वेक्षण भी किया जिसमें 22 हजार से ज्यादा लोगों ने संकेत दिए कि डिजिटल पेमेंट के तरीकों के बावजूद कैश अभी भी 'प्रचलित' है। इस सर्वेक्षण ने यह पुष्टि की है कि भारत में कैश का उपयोग अभी भी है हालांकि डिजिटल भुगतान के तरीकों में वृद्धि हो रही है।