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1 रुपये के नोट पर क्यों नहीं होते RBI गवर्नर के हस्ताक्षर ? 99.9% लोग नहीं जानते असली कारण

 
Indian Currency

भारतीय करेंसी (Indian Currency) से जुड़े कई तथ्य हैं जो आम जनता को नहीं पता होते। सबसे खास बात यह है कि 1 रुपये के नोट पर आरबीआई (RBI) गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते, जो एक सवाल है। इस लेख में हम इसी सवाल का विस्तार से उत्तर देंगे और जानेंगे कि भारतीय करेंसी से जुड़े फैसले कैसे लिए जाते हैं और 1 रुपये के नोट पर हस्ताक्षर किसके होते हैं।

भारतीय करेंसी से जुड़े फैसले कौन लेता है?

भारतीय मुद्रा का उत्पादन और प्रबंधन एक संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया है। इसका आखिरी फैसला केंद्र सरकार करती है, लेकिन इसे सिर्फ एकतरफा निर्णय नहीं कहा जा सकता। सरकार इस मुद्दे पर वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों से भी परामर्श करती है ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुसार उचित मात्रा में नोट छापे जा सकें।

यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है। पहले चरण में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) केंद्र सरकार को नोट छापने के लिए प्रस्ताव भेजता है। फिर केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर चर्चा करती है और विशेषज्ञों की राय लेने के बाद निर्णय लेती है। इस चर्चा में रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री भी शामिल होते हैं। इस प्रकार, नोट छपाई की प्रक्रिया एक संयुक्त प्रयास होता है जिसमें सरकार, रिजर्व बैंक और बोर्ड मिलकर काम करते हैं।

1 रुपये का नोट क्यों खास है?

अब बात करते हैं 1 रुपये के नोट की। यह एकमात्र ऐसा नोट है जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नहीं छापता। दरअसल, 1 रुपये का नोट भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है, जबकि बाकी सभी नोटों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया छापता है।

1 रुपये का नोट विशेष इसलिए है क्योंकि इस पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते। इसके बजाय, इस पर भारत सरकार के वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है। यह विशेषता 1 रुपये के नोट को अन्य नोटों से अलग बनाती है।

1 रुपये के नोट और सिक्कों की जिम्मेदारी किसकी होती है?

1 रुपये के नोट और सिक्कों की छपाई और निर्माण की जिम्मेदारी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पास होती है। वित्त सचिव की निगरानी में 1 रुपये का नोट और सिक्कों का उत्पादन किया जाता है। वित्त मंत्रालय ही यह तय करता है कि कितनी मात्रा में 1 रुपये के नोट और सिक्के बनाए जाने चाहिए।

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना और भूमिका

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक एक्ट, 1934 के तहत की गई थी। प्रारंभ में इसका सेंट्रल ऑफिस कोलकाता में स्थित था, लेकिन 1937 में इसे स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया।

आरबीआई का मुख्य कार्य देश की वित्तीय स्थिति को नियंत्रित करना है। यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करता है और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी नीतियां बनाता है। इसके साथ ही, आरबीआई भारतीय मुद्रा के प्रबंधन और उत्पादन का भी काम करता है, लेकिन इसमें 1 रुपये के नोट की छपाई शामिल नहीं होती।

भारतीय करेंसी का प्रतीक

भारतीय मुद्रा को भारतीय रुपया (INR) के नाम से जाना जाता है। इसका प्रतीक "₹" है, जो देवनागरी के अक्षर "र" और लैटिन के बड़े अक्षर "R" का संयोजन है। इस प्रतीक को पहली बार 2010 में अपनाया गया था और यह भारतीय मुद्रा की एक विशिष्ट पहचान बन गया है।