Sirsa me Chand Kab Niklega : सिरसा में आज चाँद कब दिखेगा ?
Sirsa Me Aaj Chand Kab Niklega : करवा चौथ व्रत का इतिहास बहुत पुराना है। यह व्रत विशेष रूप से पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवता असुरों से युद्ध में हार रहे थे तब देव पत्नियों ने निर्जला व्रत रखकर उनकी विजय की प्रार्थना की।

Delhi Highlights, चंडीगढ़: करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को पूरे देश में सुहागिन महिलाएं उत्साह के साथ रख रही हैं। इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण चांद का इंतजार (Sirsa me Chand Kab Niklega) होता है क्योंकि निर्जला व्रत तभी पूरा होता है जब चंद्रमा के दर्शन कर उसे अर्घ्य दिया जाता है। आज 20 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय अलग-अलग शहरों में भिन्न हो सकता है। दिल्ली में चंद्रमा के दर्शन रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो सकते हैं जबकि अन्य शहरों में इसका समय 7:53 मिनट के आसपास बताया जा रहा है।
करवा चौथ का महत्व और पौराणिक कथा
करवा चौथ व्रत का इतिहास बहुत पुराना है। यह व्रत विशेष रूप से पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवता असुरों से युद्ध में हार रहे थे तब देव पत्नियों ने निर्जला व्रत रखकर उनकी विजय की प्रार्थना की। चंद्रमा के निकलने (sirsa me chand kab niklega karwa chauth par) पर जब उन्होंने व्रत का पारण किया तो देवताओं ने युद्ध में जीत हासिल की। तभी से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलने की परंपरा का पालन किया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल करवा चौथ का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस दौरान महिलाएं भगवान गणेश मां गौरी और चंद्रमा की पूजा कर सकती हैं। पूजा का यह सवा घंटे का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय
आज 20 अक्टूबर 2024 को चंद्रमा के दर्शन रात के 8 बजकर 15 मिनट पर दिल्ली में होंगे। चांद के निकलते ही महिलाएं चंद्र देव को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करेंगी। चंद्रमा के दर्शन करने और अर्घ्य देने की यह प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसे ही व्रत के समाप्त होने का संकेत माना जाता है।
करवा चौथ व्रत की पौराणिक महिमा
करवा चौथ का व्रत केवल पति की लंबी उम्र के लिए ही नहीं बल्कि परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए भी रखा जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह पर्व प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। अनादिकाल से महिलाएं इस दिन कठोर निर्जला व्रत रखकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती आ रही हैं।
करवा चौथ के दिन की विशेष तैयारी
महिलाएं इस दिन सुबह जल्दी उठकर सरगी खाती हैं जो कि व्रत के दिन की पहली और आखिरी भोजन होती है। सरगी में सूखे मेवे फल मिठाई और पराठे शामिल होते हैं। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं। शाम को पूजा के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान गणेश और मां गौरी की पूजा करती हैं। पूजा के बाद जब चंद्रमा निकलता है तो चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।