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सिरसा के नाथूसरी कलां में बरूवाली नहर टूटने से 50 एकड़ फसल जलमग्न, किसानों को हुआ भारी नुकसान

 
Baruwali Canal

Delhi highlights (ब्यूरो)। सिरसा जिले के नाथूसरी कलां में चोपटा क्षेत्र से गुजरने वाली बरूवाली नहर में अचानक आई 70 फुट चौड़ी दरार ने किसानों के लिए भारी मुसीबत खड़ी कर दी। इस नहर में आई दरार के कारण चोपटा क्षेत्र के खेतों में नहर का पानी भर गया जिससे 50 एकड़ की फसल जलमग्न हो गई। इससे इलाके के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। नहर के टूटने से न केवल फसलों को नुकसान हुआ है बल्कि चोपटा कस्बे के निवासियों के लिए भी खतरे की स्थिति पैदा हो गई है।

70 फुट चौड़ी दरार के कारण खेतों में पानी का भराव

बरूवाली नहर में 70 फुट की दरार का मुख्य प्रभाव चोपटा क्षेत्र पर देखा गया। पानी तेजी से आसपास के खेतों में भर गया और नरमा तथा धान की 50 एकड़ फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। किसान पवन कुमार सुशील कुमार सतवीर सिंह और महेंद्र सिंह ने बताया कि नहर का यह टूटना वीरवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे हुआ जब उन्होंने देखा कि नहर से पानी तेजी से बह रहा है और उनके खेत जलमग्न हो रहे हैं।

इस नुकसान ने न केवल फसल की बर्बादी की चिंता बढ़ा दी है बल्कि किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। बारिश की कमी और पहले से ही जल संकट का सामना कर रहे किसानों के लिए यह नुकसान उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर देगा।

नहर का बहाव रोका गया

कस्बे के निवासियों और प्रभावित किसानों द्वारा तुरंत सिंचाई विभाग को सूचित किया गया। विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नहर को करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित नहराणा हैड से बंद करवा दिया। इससे पानी का बहाव कम हो गयाजिससे आगे की संभावित क्षति को रोका जा सका। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही पानी का बहाव पूरी तरह रुक जाएगा नहर की दरार को भरने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

किसानों के लिए संकट की स्थिति

किसानों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि जलमग्न फसलें अब लगभग नष्ट हो चुकी हैं। नरमा और धान जैसी फसलें जो इस समय वृद्धि के महत्वपूर्ण चरण में थीं पूरी तरह से पानी में डूब गईं। किसानों को अब चिंता है कि अगर समय पर कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो उनके पास फसल बचाने का कोई मौका नहीं बचेगा।

इस नहर टूटने की घटना ने चोपटा क्षेत्र के किसानों को और भी गंभीर समस्याओं का सामना करने पर मजबूर कर दिया है। न केवल फसलें बर्बाद हुई हैं बल्कि नहर टूटने से भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है जिससे भविष्य में खेती की उत्पादकता पर भी असर पड़ सकता है।

नहर टूटने के कारणों की जांच जारी

सिंचाई विभाग के अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो उन्होंने माना कि नहर टूटने के कारण का पता फिलहाल नहीं चल पाया है। यह भी संभव है कि नहर की दीवारों में पहले से कोई कमजोरी रही हो जो इस स्थिति का कारण बनी। अधिकारियों का कहना है कि जब तक पानी का बहाव पूरी तरह बंद नहीं हो जाता और जांच पूरी नहीं होती तब तक सही कारण का पता लगाना मुश्किल है।

हालांकि इस तरह की घटनाएं आमतौर पर नहर की नियमित देखभाल और निरीक्षण में कमी की वजह से होती हैं। अगर समय पर नहर की मरम्मत और निरीक्षण किया जाता तो इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सकता था। यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि सिंचाई व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह के नुकसान से बचा जा सके।

सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी

सिंचाई विभाग के अधिकारी इस घटना के बाद से चौकस हो गए हैं। उन्होंने नहर को बंद करवा कर पानी के बहाव को कम किया है जिससे नुकसान को और बढ़ने से रोका जा सके। अधिकारी यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि नहर की दरार को जल्द से जल्द पाट दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

यह जरूरी है कि सिंचाई विभाग इस मामले की पूरी जांच करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में नहरों की नियमित रूप से जांच की जाए ताकि किसानों को ऐसे अनचाहे नुकसान से बचाया जा सके। इसके साथ ही किसानों को भी उचित मुआवजा देने की दिशा में कदम उठाए जाएं ताकि उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सके।

नहर टूटने से कस्बे के निवासियों को भी खतरा

नहर टूटने का असर सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं रहा बल्कि चोपटा कस्बे के निवासियों के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय बन गया। कस्बे के आसपास पानी का बढ़ता स्तर उन्हें संकट में डाल सकता था लेकिन समय पर नहर को बंद करवा कर इस खतरे को टाल दिया गया। हालांकि अगर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है तो कस्बे के निवासियों को भविष्य में और भी ज्यादा खतरा हो सकता है।