सिरसा की आठवीं पास महिला ने बनाई देशभर में पहचान, कपास के उन्नत बीज तैयार कर महिलाओं को दे रही रोजगार
कपास के उन्नत बीज तैयार करने के बाद मंजू रानी ने इस बीज को निकाल कर उसकी पैकिंग का कार्य भी अपने घर पर ही शुरू कर दिया। इससे उन्हें प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में शामिल किया जिससे उनका भी आर्थिक स्तर बेहतर हो रहा है।

Delhi highlights, चंडीगढ़ : हरियाणा के सिरसा जिले के छोटे से गांव शाहपुर बेगू (village shahpur begu) की मंजू रानी ने अपने नाम के साथ ही गांव और राज्य का नाम भी रौशन किया है। आठवीं तक पढ़ाई करने वाली मंजू रानी ने कपास के उन्नत बीज (cotton advanced seed) तैयार कर न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि दूसरी महिलाओं को भी रोजगार का अवसर प्रदान किया है। उनका यह योगदान न केवल उनके गांव के लिए बल्कि देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
कपास के उन्नत बीज तैयार कर महिलाओं को दे रही है रोजगार
मंजू रानी ने कपास की खेती (cotton cultivation) के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया है। उन्होंने अपने प्रयासों से उन्नत किस्म के बीज तैयार करने की शुरुआत की और इस प्रक्रिया में दूसरी महिलाओं को भी शामिल किया। उन्नत बीज तैयार करने की प्रक्रिया में करीब 20 महिलाओं की जरूरत पड़ती है जिससे कई महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। इस तरह मंजू रानी ने न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई है बल्कि समाज के दूसरे तबके को भी अपने साथ जोड़कर उसे सशक्त बनाया है।
कपास के उन्नत बीज तैयार करने के बाद मंजू रानी ने इस बीज को निकाल कर उसकी पैकिंग का कार्य भी अपने घर पर ही शुरू कर दिया। इससे उन्हें प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में शामिल किया जिससे उनका भी आर्थिक स्तर बेहतर हो रहा है।
कैसे हुई मंजू रानी की यात्रा की शुरुआत?
मंजू रानी के ससुर राजेराम पहले से ही उन्नत कपास के बीज तैयार करने में विशेषज्ञ थे। उन्हें देखकर ही मंजू ने इस दिशा में कदम बढ़ाया। मंजू ने चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार और केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने एचएच 1 और सीआइसीआर 2 किस्म के बीज तैयार करने की प्रक्रिया को समझा और इसे सफलतापूर्वक लागू किया।
मंजू की मेहनत और लगन का नतीजा यह हुआ कि उन्हें लगातार सफलता मिलती गई और उनकी पहचान न केवल प्रदेश में बल्कि देशभर में हो गई। मंजू के इस सफर ने यह साबित कर दिया कि यदि मन में दृढ़ संकल्प हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है।
उन्नत बीज की पैकिंग और बाजार में पहचान
मंजू रानी की कपास के उन्नत बीज की पैकिंग प्रक्रिया उनके खुद के घर पर ही होती है। वे अपनी पांच एकड़ जमीन पर कपास की बिजाई करती हैं जिसमें देसी कपास और नरमा की किस्में शामिल हैं। जब कपास की फसल तैयार हो जाती है तो वे उसे घर पर ही पैकिंग करती हैं और बाजार में बेचती हैं। इससे न केवल उनकी आमदनी होती है बल्कि वे अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में शामिल कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं।
कई बार मिला सम्मान और पुरस्कार
मंजू रानी के इस अद्वितीय कार्य की सराहना न केवल उनके गांव में बल्कि राज्य और देशभर में भी हुई है। उन्हें कई बार राज्य और जिला स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh Agricultural University) में आयोजित किसान मेले में भी उन्हें कपास के उन्नत बीज तैयार करने के लिए सम्मानित किया गया है। उनके इस योगदान को देखते हुए उन्हें प्रगतिशील महिला किसान के रूप में भी पहचान मिली है।