हरियाणा के 10 शहरों में AQI 300 पार, 3 जिलों में 400 से ऊपर; प्रदूषण से बिगड़े हालात, हेल्थ एमरजेंसी का खतरा

Delhi Highlights, नई दिल्ली: हरियाणा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे हेल्थ एमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। आज 25 अक्टूबर की सुबह तक प्रदेश के 10 शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 को पार कर गया है, जबकि पानीपत, करनाल और कुरुक्षेत्र में यह 400 के आंकड़े से भी ऊपर चला गया। एम्स के पूर्व डायरेक्टर का कहना है कि इस बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है और यह स्थिति कोविड से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकती है।
प्रदेश में प्रदूषण के प्रमुख कारण
प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण का एक मुख्य कारण पराली जलाना है। अकेले पानीपत, करनाल और कुरुक्षेत्र में 198 जगहों पर पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं जबकि पूरे प्रदेश में कुल 680 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पराली जलाने से धुएं और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है जो हवा में प्रदूषकों के स्तर को बढ़ाता है और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालता है।
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर AQI 500 से ऊपर चला जाता है तो ऐसी हवा में सांस लेना एक दिन में 25 से 30 सिगरेट पीने के बराबर है। इसका मतलब है कि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए।
प्रदेश में मौसम का हाल
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चंडीगढ़ ने जानकारी दी है कि प्रदेश में 29 अक्टूबर तक मौसम साफ रहेगा। इस दौरान तापमान में गिरावट देखी जा सकती है। आज 25 अक्टूबर को प्रदेश का अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। सुबह और शाम के समय हल्की ठंड का अहसास हो रहा है जबकि दोपहर में तापमान जून-जुलाई की गर्मी जैसा महसूस हो रहा है।
प्रदूषण से बढ़ता स्वास्थ्य संकट
एम्स के पूर्व निदेशक का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि प्रदूषण का सीधा असर फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर पड़ता है। लगातार बढ़ते AQI के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, खांसी, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि प्रदूषण के इस स्तर पर बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। खुले में कसरत या खेलने से परहेज करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए। इस बढ़ते संकट से निपटने के लिए जरूरी है कि पराली जलाने जैसी गतिविधियों को रोका जाए और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
क्या है AQI और इसका महत्व?
AQI का मतलब है एयर क्वालिटी इंडेक्स जो किसी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता को मापने का एक मानक होता है। यह 0 से 500 तक की रेंज में होता है जहां 0-50 का मतलब "अच्छा," 51-100 "संतोषजनक," 101-200 "मध्यम," 201-300 "खराब," 301-400 "बहुत खराब" और 401-500 "गंभीर" माना जाता है। प्रदेश के कई शहरों में AQI 300 से 400 के बीच दर्ज किया गया है जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है। इस स्थिति में लोग लंबे समय तक स्वस्थ रहने के लिए सावधानी बरतें और ज्यादा समय घर के भीतर बिताएं।