मध्य प्रदेश के सागर जिले में दर्दनाक हादसा, दीवार गिरने से आठ बच्चों की मौत, मौके पर मची चीख-पुकार

Sagar Wall Collapse: मध्य प्रदेश के शाहपुर में हरदौल मंदिर में सावन के महीने के अवसर पर शिवलिंग निर्माण और भागवत कथा का आयोजन किया गया था। मंदिर परिसर में सुबह से ही शिवलिंग बनाने का काम चल रहा था। इस पवित्र कार्य में आठ से 14 साल के बच्चे भी भाग ले रहे थे। बच्चों की मासूमियत और धार्मिकता को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन्हें इस कार्य में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया था।
पुरानी दीवार ने ली मासूमों की जान
जब बच्चे शिवलिंग बना रहे थे तभी अचानक मंदिर परिसर के बगल वाली कच्ची दीवार भरभराकर गिर गई। यह दीवार करीब पचास साल पुरानी थी और जर्जर अवस्था में थी। दीवार के गिरने से बच्चों के पास कोई समय नहीं था कि वे अपनी जान बचा पाते। दीवार सीधी उनके ऊपर गिरी और देखते ही देखते आठ मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई।
मौके पर मची चीख-पुकार
हादसे के बाद पूरे मंदिर परिसर में चीख-पुकार मच गई। वहां मौजूद लोग तत्काल मलबे को हटाने में जुट गए। नगर परिषद और पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया। मलबे के नीचे दबे बच्चों को बाहर निकालने का कार्य तेजी से किया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
विधायक गोपाल भार्गव पहुंचे मौके पर
दुर्घटना की सूचना मिलते ही रहली के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी तुरंत मौके पर पहुंच गए। उन्होंने घटना का जायजा लिया और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।
जानकारी के अनुसार मंदिर परिसर के बराबर में स्थित पचास साल पुरानी दीवार काफी जर्जर हो चुकी थी। सागर में इन दिनों भारी बारिश हो रही है जिससे कच्चे और जर्जर मकानों को खतरा बढ़ गया है। 24 घंटे के अंदर ही सागर में 104 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। भारी बारिश के कारण दीवार की स्थिति और भी खतरनाक हो गई थी लेकिन इसके बावजूद इसे गिराया नहीं गया था।
प्रशासन की लापरवाही का नतीजा
इस हादसे ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। पचास साल पुरानी और जर्जर दीवार की स्थिति को देखते हुए इसे पहले ही गिरा देना चाहिए था। लेकिन प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण आज आठ मासूम बच्चों की जान चली गई। इस हादसे ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कब तक प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा मासूम जानों को भुगतना पड़ेगा।
पीड़ित परिवारों का दर्द
इस हादसे में अपने बच्चों को खोने वाले परिवारों का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। एक तरफ जहां मंदिर में धार्मिक आयोजन चल रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक भयानक हादसे ने इन परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। बच्चों की मौत के बाद पूरा क्षेत्र गम में डूब गया है। हर किसी की आंखें नम हैं और हर दिल में एक ही सवाल है – आखिर यह हादसा क्यों हुआ?