Gokul Setia: सिरसा में कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ेंगे गोकुल सेतिया? दिल्ली से आई बड़ी खबर

Delhi highlights, चंडीगढ़ : हरियाणा के सिरसा जिले की पांच विधानसभा सीटों (Assembly Seat) में से सिरसा और रानियां सीटें इस बार चुनावी चर्चाओं का केंद्र बन गई हैं। इन दोनों सीटों पर टिकट पाने के लिए दर्जनों उम्मीदवारों के बीच जोर आजमाइश चल रही है। खासकर सिरसा सीट पर जहां पिछली बार आजाद उम्मीदवार के तौर पर मात्र 602 वोटों से हारने वाले गोकुल सेतिया कांग्रेस का टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं वहाँ राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है।
सिरसा सीट पर कांग्रेस की टिकट के लिए मची होड़
सिरसा विधानसभा सीट (Sirsa Assembly Seat) पर कांग्रेस की टिकट पाने की दौड़ में कई नेता दिल्ली में सक्रिय हो गए हैं। पिछले पांच साल से इस सीट पर मेहनत कर रहे कांग्रेसी दावेदार अब नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। वहीं गोकुल सेतिया (Gokul Setia) भी दो दिन से दिल्ली में डटे हुए हैं। यह सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) और सांसद कुमारी सैलजा के माध्यम से टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि गोकुल सेतिया ने एक अलग रास्ता अपनाया है। उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को छोड़कर पंजाब के युवा कांग्रेस नेता एवं सांसद राजा वडिंग के जरिए शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व से संपर्क साधा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गोकुल सेतिया इस प्रयास में सफल हो पाते हैं या नहीं। सिरसा के अन्य कांग्रेसी नेता भी एकजुट होकर गोकुल सेतिया को टिकट मिलने से रोकने की कोशिश में लगे हुए हैं।
गोकुल सेतिया का सिरसा में काफी प्रभाव माना जाता है क्योंकि उनके नाना स्व. लछमण दास अरोड़ा सिरसा से पांच बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में सेतिया परिवार का सिरसा में प्रभावी राजनीतिक दबदबा है जो उन्हें कांग्रेस टिकट के लिए एक मजबूत दावेदार बनाता है। हालांकि सिरसा सीट पर राजनीतिक हालात इतने सरल नहीं हैं।
सिरसा विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक गोपाल कांडा जो कि अपनी पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी (Haryana Lokhit Party) के प्रमुख हैं भाजपा के साथ गठबंधन की कोशिश में हैं। हलोपा ने भाजपा से तीन सीटों की मांग की है लेकिन इसमें रानियां सीट भी शामिल है जहां से हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चुनाव लड़ते हैं। रणजीत सिंह साफ कर चुके हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिली तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे जिससे भाजपा के लिए एक और संकट खड़ा हो सकता है।
सिरसा विधानसभा सीट की राजनीतिक इतिहास भी काफी दिलचस्प है। यह वह सीट है जहां वर्ष 1996 में भाजपा के प्रो. गणेशीलाल ने कांग्रेस के लछमन दास अरोड़ा को हराकर पहली बार कमल खिलाया था। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पार्टी हरियाणा विकास पार्टी (Haryana Vikas Party) के साथ भाजपा का गठबंधन था। वर्तमान में भाजपा एक बार फिर ऐसा ही गठबंधन करने की सोच रही है।
सिरसा सीट पर कांडा और सेतिया की टक्कर
सिरसा सीट पर गोकुल सेतिया और गोपाल कांडा के बीच की संभावित टक्कर ने इस सीट को एक बार फिर से 'हॉट सीट' बना दिया है। कांडा जहां भाजपा के साथ गठबंधन करके अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं वहीं सेतिया कांग्रेस की टिकट हासिल कर राजनीतिक वापसी की कोशिश में हैं। दोनों के बीच की यह जंग सिरसा की राजनीति को और भी रोचक बना रही है।
रानियां सीट पर बिजली मंत्री रणजीत सिंह की स्थिति
रानियां सीट पर भी चुनावी माहौल कम गर्म नहीं है। बिजली मंत्री रणजीत सिंह इस सीट से चुनाव लड़ते हैं और अगर उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिली तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। ऐसे में भाजपा के लिए रानियां सीट भी एक चुनौतीपूर्ण सीट बन चुकी है जहां हलोपा ने पहले ही अपना उम्मीदवार उतार दिया है।
सिरसा और रानियां सीटों पर चुनावी गणित
सिरसा और रानियां सीटों पर इस बार का चुनावी गणित काफी उलझा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए इन सीटों पर चुनावी जीत हासिल करना एक बड़ी चुनौती होगी। जहां एक ओर कांग्रेस के भीतर टिकट की जंग तेज हो गई है वहीं भाजपा के सामने गठबंधन की संभावनाओं को संभालने का काम है।
सिरसा सीट पर गोकुल सेतिया और गोपाल कांडा के बीच की राजनीतिक खींचतान और रानियां सीट पर रणजीत सिंह की संभावित निर्दलीय उम्मीदवारी ने हरियाणा की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी का उम्मीदवार बाजी मारता है और कौन सत्ता के गलियारों में अपनी पकड़ बनाए रखता है।