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Gopal Kanda : गोपाल कांडा की बढ़ती ताकत से भाजपा को क्या है डर ? जानिए पूरा चुनावी समीकरण

Sirsa सीट का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। BJP ने पहले Sirsa से रोहताश जांगड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन 16 सितंबर को नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद अब Sirsa सीट से BJP का कोई उम्मीदवार नहीं है। आइए जानते है इसके असली कारण.....
 
Gopal Kanda

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए BJP ने 16 सितंबर को Sirsa से अपने प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा का नामांकन वापस ले लिया है जिससे Sirsa में BJP का कोई प्रत्याशी नहीं बचा है। यह चुनावी घटनाक्रम तब हुआ जब BJP की ओर से शुरुआत में गोपाल कांडा के साथ गठबंधन की चर्चाएं हो रही थीं। हालांकि अब तक गोपाल कांडा ने BJP के समर्थन को लेकर कोई सकारात्मक बयान नहीं दिया है।

BJP ने Sirsa से प्रत्याशी वापस लिया

हरियाणा में Sirsa सीट का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। BJP ने पहले Sirsa से रोहताश जांगड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन 16 सितंबर को नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद अब Sirsa सीट से BJP का कोई उम्मीदवार नहीं है। BJP की यह रणनीति गोपाल कांडा के राजनीतिक प्रभाव और स्थानीय समीकरणों के मद्देनज़र आई है।

गोपाल कांडा हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं और Sirsa विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। BJP ने शुरू में कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के साथ गठबंधन की चर्चाएं की थीं लेकिन गठबंधन तय न होने के बाद BJP ने खुद अपना प्रत्याशी उतारा था। कांडा ने इनेलो और बसपा के साथ गठबंधन किया जिससे राजनीतिक समीकरण बदल गए।

BJP की रणनीति

गोपाल कांडा के सामने BJP को यह डर था कि अगर वह अपने प्रत्याशी को मैदान में रखती तो वोट बंटने का खतरा होता और इससे कांग्रेस उम्मीदवार गोकुल सेतिया को फायदा मिल सकता था। इस स्थिति को देखते हुए BJP ने अंतिम समय में अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस ले लिया। हालांकि अब तक गोपाल कांडा ने BJP के समर्थन में कोई बयान नहीं दिया है जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।

गोपाल कांडा का प्रभाव

गोपाल कांडा ने 2014 और 2019 के चुनावों में अपनी पार्टी हिलोपा के तहत Sirsa सीट से जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में कांडा ने 44 हजार से अधिक वोट प्राप्त किए थे और आजाद प्रत्याशी गोकुल सेतिया को मात्र 600 वोटों के अंतर से हराया था। कांडा का इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ और राजनीतिक अनुभव उन्हें अन्य दलों से अलग बनाता है। यही कारण है कि BJP के लिए कांडा के खिलाफ चुनाव लड़ना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता था।

गोकुल सेतिया की बढ़ती लोकप्रियता

गोकुल सेतिया इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका राजनीतिक इतिहास भी प्रभावशाली है क्योंकि उनके नाना लक्ष्मण दास अरोड़ा पांच बार विधायक रह चुके हैं और चार बार मंत्री भी बने थे। गोकुल सेतिया का परिवार लंबे समय से Sirsa की राजनीति में सक्रिय रहा है। यह कारण है कि BJP को इस बात का भय था कि कांडा और सेतिया के बीच वोटों का विभाजन हो सकता था जिससे कांग्रेस को फायदा मिल सकता था।

गोपाल कांडा का बयान

गोपाल कांडा ने BJP के प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने पर कहा कि उनकी ओर से कोई बातचीत या समर्थन का प्रस्ताव BJP को नहीं दिया गया है। कांडा ने कहा कि उनका गठबंधन इनेलो और बसपा के साथ अटूट है और इस गठबंधन की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। कांडा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका गठबंधन किसानों के हित में है और जनता उनके कामों की सराहना कर रही है।

गोपाल कांडा ने अपने बयान में कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस की सोच दलित विरोधी है और उनके नेता राहुल गांधी ने आरक्षण के खिलाफ विदेशों में बयान दिया है। कांडा का यह बयान कांग्रेस के खिलाफ उनके चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।