हरियाणा के फतेहाबाद में खेल कोटे से फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी, जिला खेल अधिकारी समेत 4 गिरफ्तार

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में खेल कोटे के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी डी ग्रेड में स्पोर्ट्स ग्रेडेशन के फर्जी सर्टिफिकेट का उपयोग करके खेल कोटे से सरकारी नौकरी पाने में सफल रहे थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में तत्कालीन जिला खेल अधिकारी (DSO) राजेंद्र सिंह बेरवाल ढांड के निवासी मक्खन सिंह, बनावाली के रहने वाले महावीर और बोदीवाली के निवासी राहुल शामिल हैं। यह मामला 21 अप्रैल 2023 को सीएम फ्लाइंग हिसार के इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह की शिकायत पर दर्ज हुआ था। जांच के दौरान पता चला कि इन चारों ने फर्जी खेल प्रमाणपत्रों के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी पाई। जिला खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह बेरवाल पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी जांच-पड़ताल के कराटे चैंपियनशिप के नाम पर इन खिलाड़ियों को फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए।
2019-20 में 122 फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए
जांच में खुलासा हुआ कि 2019-20 के दौरान फतेहाबाद जिले के खेल विभाग द्वारा कुल 122 खिलाड़ियों के लिए फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए थे। इनमें से 109 सर्टिफिकेट सी ग्रेड के और 13 सर्टिफिकेट डी ग्रेड के थे। इन फर्जी सर्टिफिकेटों का उपयोग कर कई युवाओं ने खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाई थी। इनमें आरोपी राहुल ने लोक निर्माण विभाग फतेहाबाद, मक्खन सिंह ने लोक निर्माण विभाग गुरुग्राम और महावीर सिंह ने सिंचाई विभाग फतेहाबाद में नौकरी हासिल की।
तीनों के प्रमाण पत्रों में गड़बड़ियां
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि तीनों के प्रमाण पत्र कराटे एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ द्वारा जारी किए गए थे। हालांकि, जब इनके स्कूलों से संपर्क किया गया, तो यह जानकारी मिली कि इन तीनों ने कभी कराटे प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था। इसके अलावा, नेशनल कराटे चैंपियनशिप 2016 अरनाकुलम केरल के प्रमाण पत्र भी एक ही दिन यानी 14 फरवरी 2016 को जारी किए गए थे, जो संदेहास्पद साबित हुए। तीनों के खेल प्रमाणपत्रों में पिता का नाम, इवेंट, भार वर्ग आदि जैसी महत्वपूर्ण जानकारी भी दर्ज नहीं थी, जिससे ये प्रमाणपत्र पूरी तरह फर्जी पाए गए। पुलिस का कहना है कि जिला खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह बेरवाल ने बिना किसी जांच-पड़ताल के फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए। इन सर्टिफिकेट के जरिए ही युवाओं ने खेल कोटे का फायदा उठाकर सरकारी नौकरी पाने में सफलता प्राप्त की।
बिना जांच के बने सर्टिफिकेट
जांच में जिला खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह बेरवाल की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। बेरवाल पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी वैधता की जांच किए इन फर्जी सर्टिफिकेटों को मान्यता दी। इसके चलते कई युवाओं ने खेल कोटे के अंतर्गत नौकरी पाने में सफलता प्राप्त की, जबकि उन्होंने कभी खेल प्रतियोगिताओं में भाग भी नहीं लिया था। पुलिस ने सभी चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया है और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। इस मामले में सीएम फ्लाइंग की टीम ने जिला खेल अधिकारी के रिकॉर्ड की भी जांच की, जिसमें पता चला कि 2019-20 में कई खिलाड़ियों के फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए थे। जांच से यह भी खुलासा हुआ कि फर्जी सर्टिफिकेट धारकों में से अधिकांश ने विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरियां हासिल कीं और उन्होंने खेल की किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था।
पुलिस ने की आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बयान जारी कर कहा है कि फिलहाल मामले की जांच जारी है और आगे भी अन्य लोगों की गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में सभी दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दिलाने की प्रक्रिया में पुलिस पूरी निष्ठा से जुटी हुई है। खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह बेरवाल, जो अब रिटायर हो चुके हैं, पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए। उनके खिलाफ भी धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया गया है और उनसे आगे की पूछताछ की जा रही है।