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हरियाणा में पंचायती राज अधिनियम के तहत बड़ी कार्रवाई, इस गाँव के सरपंच को किया निलंबित

सरपंच प्यारे लाल पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी रास्तों पर किए गए अवैध कब्जों को हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद सरपंच ने कब्जाधारियों के पक्ष में सिविल न्यायालय बावल में बयान दर्ज करवाए।
 
Haryana Panchayati Raj Act

Haryana Panchayati Raj Act: रेवाड़ी जिले के बावल खंड के गांव नैहचाना में एक बड़ी कार्रवाई हुई। सरपंच प्यारे लाल को सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अवैध कब्जों को हटाने में असफल रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 51(1)(बी) के तहत की गई है। इस निर्णय को उपायुक्त अभिषेक मीणा ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया है।

सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप

सरपंच प्यारे लाल पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी रास्तों पर किए गए अवैध कब्जों को हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद सरपंच ने कब्जाधारियों के पक्ष में सिविल न्यायालय बावल में बयान दर्ज करवाए। यह एक गंभीर मामला बन गया क्योंकि सरपंच का कर्तव्य था कि वह पंचायत की संपत्ति को सुरक्षित रखें और नियमानुसार अवैध कब्जे हटवाएं।

जांच के बाद निलंबन का आदेश

इस मामले में 25 अक्तूबर को सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। सरपंच ने 30 अक्तूबर और 6 नवंबर को अपने उत्तर कार्यालय में भेजे। इसके बाद 3 दिसंबर को उनकी व्यक्तिगत सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान भी सरपंच संतोषजनक जवाब और सबूत प्रस्तुत करने में विफल रहे। इस जांच और सुनवाई के बाद उपायुक्त ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी किया।

बहुमत वाले सरपंच को चार्ज देने का निर्देश

सरपंच प्यारे लाल को निलंबित करने के साथ ही प्रशासन ने बहुमत वाले सरपंच को चार्ज देने का निर्देश दिया है। यह निर्णय पंचायत में सुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए लिया गया है। गांव नैहचाना में इस कार्रवाई के बाद ग्रामीणों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम पंचायत की जवाबदेही तय करने के लिए जरूरी था जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम बताया।

प्रशासन का सख्त रुख

डीसी अभिषेक मीणा ने कहा, "पंचायती राज अधिनियम के तहत हर पंचायत प्रतिनिधि का दायित्व है कि वह अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से पालन करे। अगर कोई प्रतिनिधि अपने कर्तव्यों में चूक करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य है।"