Haryana News: चुनाव हारते ही संदीप गर्ग ने बंद की 5 रुपये की रसोई, लोगों ने बताया स्वार्थी समाजसेवा

लाडवा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले संदीप गर्ग ने आम लोगों के लिए शुरू की गई 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाने वाली रसोई को बंद कर दिया है। यह रसोई अप्रैल 2022 में लाडवा शहर में शुरू की गई थी जिसके बाद कस्बा बैबन गांव मथाना सहित आसपास के क्षेत्रों में भी रसोई खोली गई थी। इतना ही नहीं गर्ग ने शाहाबाद और रादौर विधानसभा क्षेत्रों में भी यह रसोई स्थापित की थी जहां से हर दिन करीब 300 लोग सस्ती दरों पर खाना प्राप्त कर रहे थे।
चुनाव परिणाम घोषित होने के अगले दिन तक यह रसोई संचालित होती रही लेकिन अब इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया है। संदीप गर्ग ने 2024 के विधानसभा चुनाव में लाडवा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें केवल 2262 वोट ही प्राप्त हुए। चुनाव हारने के बाद से वह क्षेत्र में सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं और उनकी सामाजिक सेवा के इस कदम को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
समाज सेवा या स्वार्थ?
संदीप गर्ग ने बड़े जोर-शोर से यह रसोई शुरू की थी और इसे समाज सेवा का नाम दिया था। रसोई के माध्यम से लोगों को केवल सस्ती दरों पर भोजन ही नहीं बल्कि मुफ्त मेडिकल सुविधाएं भी दी जा रही थीं। चुनावी दौर में गर्ग ने रसोई की स्थापना को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में गिनाया था जिससे उन्हें काफी सराहना भी मिली थी। लेकिन अब जब चुनावी माहौल ठंडा हो चुका है और परिणाम भी घोषित हो गए हैं गर्ग की यह रसोई बंद हो गई है जिससे लोगों में निराशा है।
रसोई बंद होने के बाद से गर्ग पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने इसे स्वार्थ के लिए शुरू किया था? कुछ लोगों का कहना है कि गर्ग ने रसोई को केवल चुनावी प्रचार के एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया और जब चुनाव खत्म हो गए तो रसोई का भी अंत हो गया।
चुनाव हारने के बाद क्यों बंद हुई रसोई?
संदीप गर्ग ने रसोई बंद करने के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। चुनाव हारने के बाद वे न केवल क्षेत्र से गायब हैं बल्कि उनके द्वारा चलाई जा रही अन्य सामाजिक गतिविधियां भी ठप हो गई हैं। जिन लोगों ने गर्ग के समाज सेवा के कार्यों का समर्थन किया था वे अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
चुनाव से पहले गर्ग ने समाज सेवा की आड़ में लोगों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश की लेकिन अब उनकी यह रसोई बंद होने से उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जहां एक ओर लोग उनके इस कदम की आलोचना कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक इस फैसले का बचाव कर रहे हैं यह कहते हुए कि चुनाव के बाद गर्ग को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
क्या गर्ग फिर से सक्रिय होंगे?
संदीप गर्ग की राजनीतिक गतिविधियों पर फिलहाल विराम लगा हुआ है। चुनाव हारने के बाद वे लाडवा और आसपास के क्षेत्रों में नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गर्ग भविष्य में फिर से सक्रिय होंगे और अपनी समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाएंगे? फिलहाल इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है लेकिन इस घटनाक्रम ने गर्ग की सामाजिक छवि को धक्का जरूर पहुंचाया है।