हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में बड़ा एक्शन, एक साथ 24 अधिकारियों को किया सस्पेंड, यहाँ देखें सूची

Delhi Highlights, चंडीगढ़: हाल ही में हरियाणा में पराली जलाने के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले महीने में ही 656 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। सरकार ने कई किसानों पर केस दर्ज किया है और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। इस प्रकार के मामलों में हरियाणा के कई जिलों विशेषकर दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।
सस्पेंड किए गए अधिकारियों की सूची
कृषि विभाग के निदेशक की ओर से जारी आदेशों के अनुसार जिन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है उनमें निम्नलिखित नाम शामिल हैं:
- घरौंडा के बीओओ: गौरव
- फतेहाबाद के भूना के बीएओ: कृष्ण कुमार
- इंस्पेक्टर: सुनील शर्मा
- कुरुक्षेत्र के अधिकारी: ओमप्रकाश, रामेश्वर श्योकंद
- एडीओ पिपली: प्रताप सिंह
- थानेसर के बीएओ: विनोद कुमार
- लाडवा: अमित कंबोज
इसी तरह पानीपत जिले के मतलौढा में सुल्ताना की एडीओ: संगीता यादव, इसराना एटीएम: सत्यावन, जींद के एग्रीकल्चर सुपरिवाइजर: पुनीत कुमार, और संजीत को भी सस्पेंड किया गया है। अंबाला में विशाल गिल, शेखर कुमार, और रमेश के नाम भी शामिल हैं। सोनीपत से एग्रीकल्चर सुपरिवाइजर: नीतिन, गन्नौर से एग्रीकल्चर सुपरिवाइजर: किरण को भी सस्पेंड किया गया है। इसके अलावा हिसार में ओएओ एएई हल्पेर: गोबिंद, हेल्पर: पूजा, कैथल में एग्रीकल्चर सुपरिवाइजर: दीप कुमार, हरप्रीत कुमार और यादविंद्र सिंह के नाम भी इस सूची में हैं।
अधिकारियों पर आरोप
सस्पेंड किए गए अधिकारियों पर पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई उन अधिकारियों के खिलाफ की गई है जो अपने कर्तव्यों में असफल रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि प्रदूषण को कम करने और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
सरकार की स्थिति
हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने यह कार्रवाई कृषि विभाग की ओर से जारी आदेशों के तहत की है। सरकार का उद्देश्य किसानों को पराली जलाने के लिए प्रोत्साहित करने वाले किसी भी प्रकार के कार्यों को रोकना है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
सभी जिलों में कृषि अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी करें और किसानों को इसके प्रति जागरूक करें। इसके अलावा किसानों को वैकल्पिक उपायों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी ताकि वे पराली को जलाने के बजाय अन्य तरीकों का उपयोग करें।