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हरियाणा में बीजेपी ने एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए चली बड़ी चाल, विधानसभा चुनाव के लिए बदले ये 40 उम्मीदवार

Haryana Assembly Elections : दस साल से सत्ता में रहने के बाद पार्टी ने 90 सीटों में से 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। इस बार बीजेपी ने दो पूर्व सांसदों, एक राज्यसभा सांसद और 27 नए चेहरों को मौका दिया है।
 
Haryana Assembly Elections

Delhi highlights (ब्यूरो)। हरियाणा में बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर यानी एंटी इंकमबेंसी से बचने के लिए बड़ा कदम उठाया है। दस साल से सत्ता में रहने के बाद पार्टी ने 90 सीटों में से 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। इस बार बीजेपी ने दो पूर्व सांसदों, एक राज्यसभा सांसद और 27 नए चेहरों को मौका दिया है। जाटों की चौधर को चुनौती देने वाली बीजेपी ने नॉन-जाट पॉलिटिक्स और ओबीसी कार्ड का सही उपयोग करते हुए तीन वर्तमान मंत्रियों सहित नौ विधायकों का पत्ता साफ कर दिया है। पार्टी ने सभी अटकलों को खत्म करते हुए 'स्पेशल 67' उम्मीदवारों की सूची जारी की है जो हरियाणा की आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रमुख दांव होंगे।

मुख्यमंत्री की सीट में बदलाव

हरियाणा की राजनीति में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का नाम बड़ी भूमिका निभाता है। पहले वो करनाल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन अब उन्हें लाडवा सीट से मैदान में उतारा गया है। लाडवा, कुरुक्षेत्र लोकसभा के अंतर्गत आता है, और यह सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है। यहां से मौजूदा विधायक मेवा सिंह कांग्रेस की जीत रिपीट होने का दावा कर रहे थे। इसे देखते हुए बीजेपी ने कोई और चेहरा न उतारकर सीधे मुख्यमंत्री सैनी को मैदान में उतार दिया है। यह रणनीति सैनी की लोकप्रियता और बीजेपी के लिए इस सीट पर जीत की संभावना को बढ़ाने का प्रयास है।

अनिल विज की वापसी से सियासी समीकरण

अंबाला से लगातार विधायक रहे अनिल विज को फिर से उनकी पारंपरिक सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। विज की पार्टी से नाराजगी की खबरें पिछले पांच सालों से चर्चा में थीं। राजस्थान में सचिन पायलट की तरह विज भी पार्टी से असहमति रखते हुए कभी पार्टी का हाथ नहीं छोड़ा। मनोहर लाल खट्टर के बाद मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में विज का नाम भी शामिल था लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया था। इसके बावजूद बीजेपी ने विज को उनकी सीट से उम्मीदवार बनाकर उनका सम्मान बनाए रखा है जो पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

दिग्गज विधायकों और मंत्रियों की छुट्टी

बीजेपी की पहली सूची में नौ मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। पार्टी ने पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मीकि और रनिया से कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला जैसे बड़े नामों को हटाया है। इन विधायकों के टिकट काटे जाने का मुख्य कारण पार्टी के अंदरूनी समीकरण और 2024 के लोकसभा चुनावों में संभावित नुकसान को रोकने की कोशिश है।

परिवारवाद और नेपोटिज्म की झलक

बीजेपी की सूची में कई सियासी परिवारों के सदस्य भी शामिल हैं। आरती राव, श्रुति चौधरी, भव्य बिश्नोई, शक्ति रानी शर्मा, सुनील सांगवान और मनमोहन भड़ाना जैसे नाम सामने आए हैं। इन नेताओं के परिवारों का अपने-अपने इलाकों में खासा प्रभाव है। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने पिछले 10 सालों से परिवारवाद और नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज उठाई है लेकिन इस बार अपने ही दांव को बदलते हुए परिवारवाद को बढ़ावा दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि यह कदम बीजेपी की साम-दाम-दंड-भेद की नीति का हिस्सा है।

दलबदलुओं को भी मिला टिकट

बीजेपी ने जजपा के तीन पूर्व विधायकों को भी टिकट दिया है। देवेंद्र बबली को टोहाना, रामकुमार गौतम को सफीदों और अनूप धानक को उकलाना से उम्मीदवार बनाया गया है। बबली ने हाल ही में बीजेपी की सदस्यता ली थी जबकि वो पहले जजपी कोटे से मंत्री भी थे। इस प्रकार बीजेपी ने दल बदलने वाले नेताओं को भी मौका दिया है जिससे पार्टी के भीतर एक नई राजनीति उभरती दिख रही है।

लिस्ट आते ही नेताओं का पार्टी से इस्तीफा

बीजेपी की सूची जारी होने के कुछ ही घंटों बाद पार्टी को झटका लगा है। रतिया से विधायक लक्ष्मण नापा ने टिकट न मिलने के कारण बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। उनसे पहले शमशेर गिल ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। गुरुग्राम के बीजेपी टिकट दावेदार नवीन गोयल ने पदयात्रा के जरिए अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए कहा कि जनता उनके राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगी।

हरियाणा का सियासी भूगोल

हरियाणा जिसे कृषि प्रधान राज्य के रूप में जाना जाता है की जनसंख्या 2.53 करोड़ है। यह राज्य देश के सबसे धनी राज्यों में से एक है और इसकी सीमाएं उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान से जुड़ी हैं। दिल्ली-एनसीआर से सटे होने के कारण यह राज्य देश की राजनीति में भी खास महत्व रखता है। बीजेपी ने अपनी नई सूची जारी करके इस सियासी भूगोल को और जटिल बना दिया है।