जेवर एयरपोर्ट के पास बनेंगी जापानी और कोरियन सिटी, किसानों से 1700 एकड़ से अधिक जमीन की खरीद करेगा प्राधिकरण

Japanese and Korean City: एनसीआर (National Capital Region) में आगामी वर्षों में रोजगार की बहार आने वाली है जिसका मुख्य कारण यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) द्वारा जेवर में बनाए जा रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) के पास प्रस्तावित जापानी और कोरियन सिटी है। इन सिटीज की योजना और कार्यान्वयन से क्षेत्रीय विकास और रोजगार के अवसरों में भारी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
सेक्टर-5ए और सेक्टर-4ए में जापानी और कोरियन सिटी का निर्माण
यीडा ने जापानी और कोरियन सिटी के विकास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। जापानी सिटी सेक्टर-5ए में और कोरियन सिटी सेक्टर-4ए में बसेगी। इन सेक्टरों को विकसित करने के लिए यीडा किसानों से सीधे 1700 एकड़ से अधिक जमीन की खरीदारी करेगा।
प्राधिकरण के एक अधिकारी के अनुसार जापानी सिटी के लिए 395 हेक्टेयर और कोरियन सिटी के लिए 365 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है। प्रारंभ में यीडा सेक्टर-10 में 200 हेक्टेयर में जापानी सिटी बसाने पर विचार कर रहा था लेकिन अब नई योजना के तहत यह शहर अलग सेक्टरों में विकसित किया जाएगा।
भूमि का मिश्रित उपयोग
इन सेक्टरों में भूमि का मिश्रित उपयोग होगा जिसमें 70 प्रतिशत भूमि औद्योगिक और 13 प्रतिशत वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित की जाएगी। 10 प्रतिशत भूमि आवासीय उपयोग के लिए और 5 प्रतिशत भूमि अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों जैसे संस्थागत उद्देश्यों के लिए आवंटित की जाएगी। शेष 2 प्रतिशत भूमि अन्य सुविधाओं के विकास के लिए उपयोग की जाएगी।
इस प्रकार के योजनाबद्ध विकास से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यहां के निवासियों को सभी आवश्यक सुविधाएं सेक्टरों के भीतर ही मिलें और उन्हें बाहरी क्षेत्रों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
जापानी और कोरियन सिटी का औद्योगिक विकास प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। इन शहरों में इलेक्ट्रॉनिक सामान, चिप्स, सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और कैमरों का निर्माण किया जाएगा। जापानी और कोरियाई नागरिकों के लिए पारंपरिक और व्यावसायिक तौर-तरीकों पर आधारित आवास, स्कूल और अस्पताल भी विकसित किए जाएंगे।
जापान और कोरिया की कई कंपनियां पहले ही इस परियोजना में निवेश करने के लिए इच्छुक हैं। ये कंपनियां जमीन का निरीक्षण भी कर चुकी हैं और निवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बातचीत कर रही हैं।