चौपटा के विकास का अंधेरे में जलाया दीपक, पुण्यतिथि पर 18 दिसंबर को संत सम्मेलन

संत नाथूसरी चोपटा के संस्थापक और समाजसेवी स्वर्गीय संत हरिश्चंद्र दास की पुण्यतिथि पर 18 दिसंबर को एक भव्य संत सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। जन्म से अंधे होते हुए भी उन्होंने चोपटा कस्बे की स्थापना की और इसे एक विकसित कस्बे के रूप में खड़ा किया। संत हरिश्चंद्र दास की पुण्यतिथि पर उनके द्वारा स्थापित शिव मंदिर धर्मशाला में श्रद्धांजलि सभा और भंडारे का आयोजन होगा।
संत हरिश्चंद्र दास का जीवन परिचय और उनके कार्य
स्वर्गीय संत हरिश्चंद्र दास का जन्म दिसंबर 1923 में हरियाणा के रायपुरिया गांव में हुआ। माता माम कोरी और पिता रामजस के घर जन्मे संत हरिश्चंद्र ने मात्र 2 वर्ष की आयु में चेचक के कारण अपनी नेत्र ज्योति खो दी। इसके बावजूद उन्होंने समाज सेवा के प्रति अपने समर्पण को कभी कम नहीं होने दिया। 20 वर्ष की आयु में उन्होंने उदासीन पंथ की दीक्षा लेकर साधु बनने का संकल्प लिया।
संत हरिश्चंद्र ने चोपटा में विकास के कई आयाम स्थापित किए। उन्होंने गांव में सबसे पहले ठाकुर जी का मंदिर बनवाया। इसके साथ ही उन्होंने गांव में पीने के पानी की समस्या को हल करने के लिए कुआं निर्माण करवाया। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा; उन्होंने आठवीं कक्षा तक के स्कूल की स्थापना की और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) खुलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चोपटा के विकास में संत हरिश्चंद्र का योगदान
संत हरिश्चंद्र दास ने चोपटा कस्बे को एक छोटे से गांव से विकसित कस्बा बना दिया। उनके प्रयासों से यहां तहसील कार्यालय, पुलिस थाना, बीडीपीओ कार्यालय, आईटीआई, सरकारी और निजी विद्यालय, बस स्टैंड, और अनाज मंडी जैसे कई संस्थान स्थापित हुए। इनसे क्षेत्र के करीब 52 गांवों को विभिन्न सुविधाएं प्राप्त हुईं।
अंध विद्यालय की स्थापना
संत हरिश्चंद्र दास ने अंध व्यक्तियों के लिए एक विशेष विद्यालय की स्थापना की। इस विद्यालय में अंध व्यक्तियों को चारपाई और कुर्सी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। यह पहल उनकी समाज सेवा की भावना को दर्शाती है। नाथूसरी कलां के समाजसेवी रामजस कासनियां द्वारा दान की गई 2 एकड़ भूमि पर संत हरिश्चंद्र ने एक भव्य शिव मंदिर और धर्मशाला का निर्माण करवाया। यह स्थान आज भी उनकी स्मृति को जीवित रखता है।