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Largest Bridge : काशी को मिलेगा भारत का सबसे बड़ा पुल | रेल और सड़क परिवहन को मिलेगा नया आयाम

इस स्टेशन को भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा रहा है जिसमें यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं होंगी। स्टेशन पर अंडरग्राउंड चार प्लेटफार्म होंगे जहां प्रथम तल पर यात्रियों के ठहरने की सुविधा, टिकट काउंटर, फूड प्लाजा और रिटायरिंग रूम जैसी व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी।
 
Largest Bridge

Delhi Highlights, नई दिल्ली: काशी रेलवे स्टेशन और गंगा ब्रिज के निर्माण को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। रेलवे बोर्ड और पुरातत्व विभाग ने इन परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है जिससे अब इनका निर्माण कार्य गति पकड़ेगा। काशी रेलवे स्टेशन और मालवीय ब्रिज के पुनर्निर्माण की इस योजना को केंद्रीय कैबिनेट से भी मंजूरी मिल चुकी है जिसका बजट 2642 करोड़ रुपये है। मई 2023 में काशी रेलवे स्टेशन के अंडरग्राउंड निर्माण के लिए डिजाइन को मंजूरी मिली थी।

इस स्टेशन को भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा रहा है जिसमें यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं होंगी। स्टेशन पर अंडरग्राउंड चार प्लेटफार्म होंगे जहां प्रथम तल पर यात्रियों के ठहरने की सुविधा, टिकट काउंटर, फूड प्लाजा और रिटायरिंग रूम जैसी व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 44 से जोड़ा जाएगा जिससे यात्रियों की पहुंच और भी आसान हो जाएगी।

गंगा ब्रिज का पुनर्निर्माण

जुलाई 2023 में गंगा नदी पर नए ब्रिज का डिजाइन मंजूर किया गया था जिसमें छह लेन की सड़क और चार रेलवे ट्रैक का निर्माण शामिल है। यह ब्रिज देश के सबसे बड़े रेल-रोड पुलों में से एक होगा जो 112 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने की सुविधा प्रदान करेगा। इस ब्रिज के बनने के बाद वाराणसी और डीडीयू स्टेशन के बीच यात्रा का समय घटकर 30 मिनट रह जाएगा। फिलहाल पुराना मालवीय ब्रिज जर्जर हालत में है जिससे ट्रेनें 25-30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरती हैं। नए ब्रिज के बनने से व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी जिससे पूर्वांचल की आर्थिक प्रगति को बल मिलेगा।

परियोजना की मंजूरी

मार्च 2024 में आईआईटी रुड़की और बीएचयू के इंजीनियरों ने परियोजना को सुरक्षा एनओसी दी। इसके बाद जून 2024 में पुरातत्व विभाग ने भी इस परियोजना को अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) दे दिया जिससे अब निर्माण कार्य को लेकर सभी बाधाएं समाप्त हो गई हैं। इस परियोजना से वाराणसी, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे न केवल यात्रियों को फायदा होगा बल्कि माल ढुलाई में भी तेजी आएगी। यह ब्रिज पूर्वांचल को नई दिल्ली-हावड़ा रेलखंड से मजबूती से जोड़ेगा जिससे व्यापारियों के लिए एक मार्ग स्थापित होगा।