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सिरसा स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को दिया बड़ा झटका, इन बीमारियों के नहीं लिए जाएंगे सैंपल

सिरसा जिला मुख्यालय में हेपेटाइटिस सी और बी की जांच को लेकर मंगलवार का दिन निर्धारित था जब सैंपल लिए जाते थे। लेकिन अब सिरसा स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने से मना कर दिया है। इस फैसले से जिले में लगभग 750 हेपेटाइटिस सी के मरीजों को सैंपल देने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है जबकि निजी लैब्स में जांच के महंगे खर्चे उनके लिए एक अतिरिक्त आर्थिक बोझ साबित हो रहे हैं।
 
Sirsa Health Department

चंडीगढ़: सिरसा जिले में हेपेटाइटिस सी और बी के मरीजों के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग ने एक माह के बाद ही सैंपल लेने से मना कर दिया। इससे जिले में हेपेटाइटिस सी और बी की जांच के लिए निर्धारित मंगलवार को होने वाले सैंपलिंग कार्य को रोक दिया गया है जिसके चलते सैकड़ों मरीजों को महंगी निजी लैब्स में जांच कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य विभाग का निर्णय

सिरसा जिला मुख्यालय में हेपेटाइटिस सी और बी की जांच को लेकर मंगलवार का दिन निर्धारित था जब सैंपल लिए जाते थे। लेकिन अब सिरसा स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने से मना कर दिया है। इस फैसले से जिले में लगभग 750 हेपेटाइटिस सी के मरीजों को सैंपल देने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है जबकि निजी लैब्स में जांच के महंगे खर्चे उनके लिए एक अतिरिक्त आर्थिक बोझ साबित हो रहे हैं।

अंबाला में सैंपलिंग बंद होने के बाद स्थिति और बिगड़ी

अंबाला में पहले ही सैंपल लेने से मना किए जाने के बाद लगभग दो महीने तक सैंपल नहीं लिए गए थे। बाद में सिरसा को सैंपल भेजने की अनुमति मिली लेकिन सिरसा के नागरिक अस्पताल की लैब में स्टाफ की कमी के कारण अब वहां भी सैंपलिंग कार्य बंद हो गया है। हालात और बिगड़ गए हैं जब यहां से भेजे गए लगभग 80 सैंपलों की रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।

मरीजों के लिए निजी लैब्स का सहारा

सिरसा जिला मुख्यालय से हर मंगलवार को हेपेटाइटिस सी के 20 और बी के 5 सैंपल लैब में भेजे जाते थे लेकिन अब यह प्रक्रिया बंद हो चुकी है। इसके कारण मरीजों को निजी लैब्स में महंगे दामों पर अपनी जांच करवानी पड़ रही है। यह स्थिति उन मरीजों के लिए और भी चिंताजनक हो जाती है जो नियमित रूप से अपने सैंपल्स देने के लिए निर्भर थे।

हेपेटाइटिस मरीजों की स्थिति

सिरसा जिले में हेपेटाइटिस सी और बी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिला अस्पताल में हेपेटाइटिस सी का उपचार वर्ष 2017 से शुरू हुआ था और अब तक 6,050 हेपेटाइटिस सी के पॉजिटिव मरीज पाए जा चुके हैं। वहीं हेपेटाइटिस बी के 95 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं।

हेपेटाइटिस सी के मरीजों के लिए तीन से छह महीने की दवा चलती है। जिन मरीजों का लीवर खराब हो जाता है उन्हें छह महीने तक दवा दी जाती है। जिन मरीजों का उपचार पूरा हो चुका है उन्हें हेपेटाइटिस-सी का कार्ड टेस्ट दोबारा करवाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि कार्ड टेस्ट 15 साल तक पॉजिटिव रह सकता है। विभाग उपचार पूरा होने के बाद वायरल लोड टेस्ट करवाता है लेकिन मौजूदा स्थिति में नए रजिस्टर्ड 400 मरीजों और 350 उपचार पूरा करवा चुके मरीजों के सैंपल लिए जाने बाकी हैं।

निजी लैब्स से अनुबंध समाप्ति के बाद शुरू हुई समस्या

हेपेटाइटिस सी का उपचार सिरसा जिला मुख्यालय में वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की जांच के लिए निजी लैब्स से अनुबंध किया था जो जुलाई 2022 में समाप्त हो गया। इसके बाद आरटीपीसीआर लैब में जांच के निर्देश दिए गए लेकिन छह महीने के बाद माइक्रोबायोलॉजिस्ट का पद खाली होने के कारण जांच फिर से रोक दी गई। इसके बाद रोहतक पीजीआई और फिर अंबाला में सैंपल भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन तीन महीने पहले अंबाला ने भी जांच को लेकर आवश्यक सामान की कमी का हवाला देकर सैंपल लेने से मना कर दिया।

स्वास्थ्य विभाग के सामने नई चुनौती

अब एक महीने पहले ही सिरसा में सैंपल भेजने की अनुमति मिली थी लेकिन यहां भी लैब में स्टाफ की कमी के चलते सैंपलिंग कार्य रोक दिया गया है। इसके चलते मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। सिरसा के नागरिक अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष टुटेजा ने बताया कि हेपेटाइटिस सी और बी के सैंपल सिरसा भेजे जा रहे थे लेकिन लैब में स्टाफ की कमी के कारण सैंपल लेने से मना कर दिया गया है। पिछले सैंपलों की रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई है। उच्च अधिकारियों से इस संबंध में बात की जाएगी और आवश्यक व्यवस्था की जाएगी।