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सिरसा के डेरा जगमालवाली विवाद में आया अब नया मोड़, अमर सिंह बिश्नोई ने फेसबुक पर लाइव आकर कही ये बात

Dera Jagmalwali controversy: 1 अगस्त को संत वकील साहब का निधन दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हो गया था। जब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए जगमलवाली डेरा लाया गया तो संस्कार से पहले ही गद्दी को लेकर अमर सिंह ने सवाल खड़ा कर दिया था।
 
Dera Jagmalwali controversy

सिरसा जिले के जगमलवाली डेरे में हाल ही में घटित विवाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। डेरा का सिंहासन हड़पने के प्रयासों के बीच अमर सिंह ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। अमर सिंह जो स्वर्गीय संत बहादुर चंद वकील साहिब के गांव के निवासी हैं ने पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद फेसबुक पर लाइव आकर यह दावा किया कि 1 जनवरी 2023 की रेड डायरी में लिखी गई वसीयत गलत है।

उन्होंने बताया कि संत वकील साहब ने 2021 में ही डेरा की वसीयत लिख दी थी लेकिन वह डायरी अभी तक सामने नहीं आई है। अमर सिंह के अनुसार असली वसीयत उसी डायरी में है जो सिंहासन के असली अधिकार को तय करती है।

वसीयत की हकीकत और अमर सिंह का दावा

अमर सिंह ने अपने फेसबुक लाइव में खुलासा किया कि संत वकील साहब ने 2021 में डेरा की वसीयत लिखी थी। उन्होंने कहा कि संत वकील साहब से उनकी उस समय करीब एक घंटे तक बातचीत हुई थी जिसमें वकील साहब ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने अपनी वसीयत डायरी में लिख दी है। अमर सिंह का दावा है कि जिसके नाम वसीयत लिखी गई है वही डेरा की गद्दी का असली हकदार है।

अमर सिंह ने डेरा प्रेमियों से अपील की कि डेरा किसी व्यक्ति की जागीर नहीं है और सभी प्रेमियों को डेरे में आकर सिमरन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डेरा प्रेमियों को डेरा नहीं छोड़ना चाहिए और उन्हें अपने विश्वास को बनाए रखना चाहिए।

1 अगस्त को संत वकील साहब का निधन दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हो गया था। जब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए जगमलवाली डेरा लाया गया तो संस्कार से पहले ही गद्दी को लेकर अमर सिंह ने सवाल खड़ा कर दिया था।

जब संत वकील साहब के चहेते बीरेंद्र ढिल्लो गद्दी के पास पहुंचे तो अचानक वहां फायरिंग की घटना घटित हो गई जिससे विवाद ने और तूल पकड़ लिया। 8 अगस्त को जब संत वकील साहब का भोग आयोजित हुआ तो भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और अमर सिंह को पुलिस हिरासत में ले लिया गया था। उस दिन सिरसा जिले में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं और कई बड़े राजनैतिक हस्तियों ने संत वकील साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

बीरेंद्र ढिल्लो को पगड़ी पहनाई गई

संत वकील साहब के परिवार और आसपास के गांव के सरपंचों की उपस्थिति में बीरेंद्र ढिल्लो को डेरा के लिए पगड़ी पहनाई गई। इस दौरान बीरेंद्र ने कहा कि जब तक डेरा प्रेमियों को उन पर पूरा विश्वास नहीं हो जाता वह गद्दी पर नहीं बैठेंगे। इस घटना से साफ हो गया कि डेरा में विश्वास की कमी और विवादों का सिलसिला जारी है।