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UP News : यूपी में अब नहीं होंगे आवारा पशुओं की वजह से सड़क हादसे, योगी सरकार ने बनाया ये मास्टर प्लान

पांच साल पहले उत्तर प्रदेश में लगभग 1.18 मिलियन (लगभग 10 लाख) से अधिक आवारा मवेशी थे जोकि एक गंभीर समस्या बनी हुई थी। ये मवेशी ज्यादातर बूढ़े बैल होते थे जिन्हें खेती-बाड़ी के कामों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। वहीं गायों और भैंसों की प्रजनन क्षमता खत्म हो चुकी थी जिससे उनका उपयोग भी सीमित हो गया।
 
stray animals

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों के चलते होने वाले सड़क हादसों से निपटने के लिए कदम उठाया है। सरकार ने फैसला लिया है कि अब इन मवेशियों के सींग और गर्दन पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे जिससे अंधेरे में भी वाहन चालकों को मवेशी नजर आ सकें। इस कदम का उद्देश्य सड़कों पर होने वाले दुर्घटनाओं को रोकना है क्योंकि रात के समय आवारा मवेशियों को देख पाना वाहन चालकों के लिए मुश्किल होता है और इससे बड़े हादसे होते हैं। खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में यह समस्या अधिक है जहां आवारा मवेशी आमतौर पर सड़कों पर घूमते हैं।

आवारा मवेशियों की संख्या

पांच साल पहले उत्तर प्रदेश में लगभग 1.18 मिलियन (लगभग 10 लाख) से अधिक आवारा मवेशी थे जोकि एक गंभीर समस्या बनी हुई थी। ये मवेशी ज्यादातर बूढ़े बैल होते थे जिन्हें खेती-बाड़ी के कामों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। वहीं गायों और भैंसों की प्रजनन क्षमता खत्म हो चुकी थी जिससे उनका उपयोग भी सीमित हो गया।

वर्तमान समय में इस समस्या में और इजाफा हो गया है क्योंकि सरकार ने गोवंशों के वध पर रोक लगा रखी है। इसके परिणामस्वरूप मवेशियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और जब ये सड़कों पर निकलते हैं तो यह गंभीर सड़क हादसों की वजह बनते हैं। ऐसे में योगी सरकार का यह कदम जरूरी था ताकि आवारा मवेशियों से होने वाले हादसों को रोका जा सके।

रिफ्लेक्टर लगाने का काम कैसे होगा?

योगी सरकार ने इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक निजी फर्म को चुना है जो छोटे शहरों में 10000 और बड़े शहरों में 15000 से 20000 मवेशियों पर रिफ्लेक्टर लगाने का काम करेगी। इन रिफ्लेक्टर को मवेशियों के सींगों पर लगाया जाएगा ताकि अंधेरे में भी वाहन चालक इन्हें आसानी से देख सकें।

जिन मवेशियों के सींग नहीं हैं उनकी गर्दन पर रिफ्लेक्टर की पट्टी लगाई जाएगी। राज्य के पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह योजना पहले लखनऊ नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी। अगर यह योजना सफल होती है तो इसे राज्य के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी लागू किया जाएगा जहां आवारा मवेशियों की समस्या अधिक है।