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क्या राम रहीम की फरलो से पड़ेगा विधायक चुनाव पर असर ? जानें क्या कहते है हरियाणा राजनीति के समीकरण

Ram Rahim News : राम रहीम की फरलो के बारे में कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जब चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुश्किलें होती हैं तब वह राम रहीम के पास जाती है। उनका यह भी आरोप है कि भाजपा अपनी ताकत और जन समर्थन पर भरोसा नहीं करती और चुनावों में जीत के लिए ऐसे विवादित व्यक्तित्वों का सहारा लेती है।
 
Ram Rahim News

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को हाल ही में हरियाणा सरकार ने फरलो की मंजूरी दे दी है। यह फरलो उन्हें 21 दिनों के लिए मिली है और यह उनकी सजा की अवधि के दौरान सातवीं बार है जब उन्हें किसी चुनाव से पहले फरलो या पैरोल मिली है। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि राम रहीम की फरलो का चुनावी नतीजों पर कितना प्रभाव पड़ सकता है और इस पर राजनीति कैसे खेली जा रही है।

राम रहीम की फरलो के बारे में कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जब चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुश्किलें होती हैं तब वह राम रहीम के पास जाती है। उनका यह भी आरोप है कि भाजपा अपनी ताकत और जन समर्थन पर भरोसा नहीं करती और चुनावों में जीत के लिए ऐसे विवादित व्यक्तित्वों का सहारा लेती है। वहीं सत्ताधारी बीजेपी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है जिससे यह सवाल उठता है कि क्या राम रहीम का चुनावी प्रभाव वाकई महत्वपूर्ण है?

राम रहीम की फरलो और चुनावी नतीजे

2018 नगर निगम चुनाव

जून 2018 में हरियाणा नगर निगम के चुनावों के लिए राम रहीम को 30 दिनों के लिए पैरोल मिली थी। यह उनकी पहली पैरोल थी जब वे जेल से बाहर आए थे। उस चुनाव में भाजपा ने पांचों सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि यह कहने की जरूरत नहीं कि राम रहीम की फरलो के कारण भाजपा को लाभ हुआ या नहीं लेकिन यह स्पष्ट है कि चुनाव में भाजपा की जीत को राम रहीम की फरलो से जोड़कर देखा जा सकता है।

2022 विधानसभा चुनाव

जनवरी 2022 में पंजाब और पांच अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें तय की गई थीं। इससे पहले राम रहीम को 21 दिनों की पैरोल दी गई। वे जेल से बाहर आकर हरियाणा में राजनीतिक संदेश देने लगे। हालांकि पंजाब के चुनाव में राम रहीम का प्रभाव न के बराबर था। भाजपा को 2022 के चुनावों में सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली जो कि 2017 में जीती गई तीन सीटों से कम थी। यह स्पष्ट है कि राम रहीम की पैरोल का चुनावी नतीजों पर सीमित असर रहा।

2022 पंचायत चुनाव

2022 के अक्टूबर में हरियाणा में पंचायत चुनाव हुए और राम रहीम को 40 दिनों की पैरोल मिली। इस बार भी भाजपा सरकार की आलोचना हुई लेकिन पंचायत चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी ने सात जिलों में जिला परिषद की 102 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से उसे सिर्फ 22 सीटों पर जीत मिली। यह आंकड़ा राम रहीम की फरलो के बावजूद भाजपा की हार को इंगित करता है।

आदमपुर विधानसभा उपचुनाव

2022 में आदमपुर विधानसभा का उपचुनाव भी हुआ। इस सीट पर भजनलाल परिवार का दबदबा माना जाता है। यहां भाजपा के भव्या विश्नोई को कांग्रेस के जयप्रकाश के खिलाफ मुकाबला करना पड़ा। भव्या विश्नोई को 15740 वोटों से जीत मिली लेकिन इस चुनाव में भी राम रहीम का प्रभाव नजर नहीं आया।

2023 विधानसभा चुनाव

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भी राम रहीम को 21 दिनों की फरलो मिली। इस बार भी भाजपा सरकार की आलोचना हुई लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे। हालांकि बीजेपी उन इलाकों में सफल नहीं रही जहां राम रहीम का प्रभाव था। श्रीगंगानगर की 6 में से बीजेपी को सिर्फ 2 और हनुमानगढ़ की 5 में से एक सीट पर जीत मिली।

डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव

डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 148 में मस्ताना बलूचिस्तानी ने की थी और 1990 में राम रहीम ने इसकी कमान संभाली थी। एक समय में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की संख्या करोड़ों में थी लेकिन अब यह संख्या काफी घट चुकी है। राम रहीम के खिलाफ 2017 में साध्वी के रेप और पत्रकार की हत्या के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनके अनुयायियों की संख्या में भारी गिरावट आई है। हालांकि डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव हरियाणा पंजाब राजस्थान हिमाचल प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में अभी भी महसूस किया जाता है।