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Chhath Puja 2024 : 24 हजार करोड़ की चहल-पहल से झूमेगा छठ का त्योहार, देशभर में दिखेगा पुरवईया जोश

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय ने बताया कि बिहार और झारखंड के अलावा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी छठ पूजा को भव्य रूप से मनाया जाता है।
 
Chhath Puja 2024

नई दिल्ली, 4 नवंबर – पूरे भारत में छठ पूजा का चार दिवसीय पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वांचल समुदायों के लोगों द्वारा मनाया जाता है, जो दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में बसे हुए हैं। इस वर्ष छठ पर्व के दौरान लगभग 12,000 करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें लगभग 150 मिलियन लोग छठ पूजा की रस्मों में हिस्सा लेंगे। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस साल छठ के दौरान होने वाले व्यापार के आंकड़े साझा किए हैं। इस वर्ष छठ के अवसर पर दिल्ली के प्रमुख बाजार जैसे चांदनी चौक, सदर बाजार, मॉडल टाउन, अशोक विहार, शालीमार बाग, पीतमपुरा, रानी बाग, उत्तम नगर और तिलक नगर में छठ पूजा के पारंपरिक सामानों की ख़रीदारी जोरों पर है।

पारंपरिक सामानों की धूम

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय ने बताया कि बिहार और झारखंड के अलावा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी छठ पूजा को भव्य रूप से मनाया जाता है। इन राज्यों में बसे पूर्वांचली समुदायों का आर्थिक योगदान इन क्षेत्रों के व्यापार को बढ़ावा देता है। छठ पूजा में विशेष रूप से अस्त और उगते सूर्य की पूजा की जाती है, जो भारतीय संस्कृति के समावेशी स्वरूप को दर्शाता है। इस अवसर पर पारंपरिक पूजा सामग्री जैसे बांस की टोकरी, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाई, फल-सब्जियां (विशेषकर नारियल, सेब, केला और हरी सब्जियाँ) की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।

स्थानीय व्यापार और छोटे उद्योगों को मिला बढ़ावा

छठ पर्व के दौरान महिलाओं के पारंपरिक वस्त्र जैसे साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता, और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती की भी काफी बिक्री हो रही है। इससे स्थानीय व्यापारियों और छोटे उद्योगों को सीधा लाभ मिल रहा है। इस त्यौहार पर हस्तनिर्मित और छोटे स्तर पर तैयार किए गए उत्पादों की भी ख़रीदारी बड़े स्तर पर हो रही है।

CAIT के सचिव जनरल और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "छठ पूजा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है जो सामाजिक एकता और समर्पण को दर्शाता है। यह त्यौहार व्यापार को बढ़ावा देता है और सीधे तौर पर स्थानीय उत्पादकों को लाभ पहुंचाता है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को भी सशक्त करता है।" छठ पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले अधिकांश उत्पाद स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों द्वारा बनाए जाते हैं, जिससे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं और कुटीर उद्योगों को समर्थन मिलता है।

दिल्ली और अन्य राज्यों में चहल-पहल

दिल्ली में छठ पूजा का महत्त्व इस कारण भी अधिक है कि यहाँ बड़ी संख्या में पूर्वांचलियों का वास है। दिल्ली के लगभग सभी प्रमुख बाजारों में छठ पूजा की तैयारियाँ की जा रही हैं, जहाँ हर प्रकार का पारंपरिक सामान उपलब्ध है। पारंपरिक वस्त्रों से लेकर पूजा सामग्री तक, हर वस्तु की बिक्री में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ हो रहा है। इस वर्ष के छठ पर्व ने स्थानीय बाजारों में बड़ी रौनक लाई है। चारों ओर उल्लास और उत्साह का माहौल है और दुकानदारों के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिल रही है। स्थानीय बाजारों में ऐसी भीड़ और व्यस्तता अन्य त्योहारों के दौरान देखने को नहीं मिलती, जिससे छठ पूजा की विशिष्टता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पहल के साथ कदम से कदम मिलाते छोटे व्यापारी

छठ पूजा के इस अवसर पर स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान के साथ छोटे व्यापारी भी इस त्योहार के अवसर पर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी खास है, जो स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में मौजूद सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है। छठ पूजा न केवल भारतीय संस्कृति की सुंदरता को दर्शाती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान करती है। स्थानीय स्तर पर उत्पादित सामग्रियों की उच्च मांग, स्थानीय उद्योगों के विकास के लिए प्रेरक साबित हो रही है।