आईएएस स्मिता सभरवाल पर विवाद, विकलांगों के आरक्षण पर टिप्पणियों के बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका
Smita Sabharwal News : तेलंगाना हाईकोर्ट की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अधिकार पर सवाल उठाया लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता स्वयं विकलांग हैं। कोर्ट ने इसके बाद याचिका पर पूरी जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश जारी किया है।

IAS officer Smita Sabharwal: आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल जो अपनी कार्यशैली और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं एक बड़े विवाद में घिर गई हैं। उनकी एक टिप्पणी जिसमें अखिल भारतीय सेवाओं में विकलांगों के लिए आरक्षण की आवश्यकता पर सवाल उठाया गया था ने काफी हंगामा खड़ा कर दिया है। यह विवाद अब तेलंगाना हाईकोर्ट में पहुंच गया है जहां एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।
स्मिता सभरवाल की टिप्पणियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि यूपीएससी अध्यक्ष द्वारा उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। याचिका में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणी ने विकलांगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है और यह भारतीय संविधान में दिए गए समता के अधिकार का उल्लंघन है।
तेलंगाना हाईकोर्ट की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अधिकार पर सवाल उठाया लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता स्वयं विकलांग हैं। कोर्ट ने इसके बाद याचिका पर पूरी जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश जारी किया है।
स्मिता सभरवाल जो तेलंगाना राज्य वित्त आयोग की सदस्य भी हैं अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं। उन्होंने ट्विटर पर जो पोस्ट किया उसे लेकर न केवल नेटिजनों बल्कि कई पूर्व आईएएस और जन प्रतिनिधियों ने भी आपत्ति जताई है। कई लोगों का मानना है कि उनकी टिप्पणी से विकलांगों के प्रति असंवेदनशीलता का प्रदर्शन हुआ है।
इसके बावजूद स्मिता सभरवाल ने अब तक अपनी राय नहीं बदली है। उन्होंने अपनी टिप्पणी को लेकर कोई खेद व्यक्त नहीं किया है और कहा है कि यह उनकी व्यक्तिगत राय थी। इस मुद्दे ने एक बार फिर से समाज में व्याप्त असमानताओं और विशेष रूप से विकलांगों के अधिकारों पर गंभीर चर्चा को जन्म दिया है।
इस विवाद के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन प्रतिनिधियों ने भी खुलकर अपनी राय व्यक्त की है। सामाजिक कार्यकर्ता वसुंधरा जिन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की का कहना है कि स्मिता सभरवाल की टिप्पणी से विकलांगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने यह भी कहा कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से इस प्रकार की असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
पूर्व आईएएस और अन्य जन प्रतिनिधियों ने भी स्मिता सभरवाल की टिप्पणी की निंदा की है। उनका कहना है कि एक अधिकारी जो समाज में समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है को इस प्रकार की असंवेदनशील टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।