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दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की मांगी जानकारी

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश केवल कागजों पर ही क्यों है। अगर यह प्रदूषण कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया?"
 
Strictness of Supreme Court

नई दिल्ली, 4 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से पटाखों पर लगे प्रतिबंध को लेकर तत्काल प्रतिक्रिया मांगी है। कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर दिल्ली में दीवाली के बाद होने वाले प्रदूषण पर नाराजगी जताई और पूछा कि प्रतिबंध होने के बावजूद इसका प्रभाव क्यों नहीं दिखता। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस से पटाखों के प्रतिबंध को लागू करने के ठोस कदमों की जानकारी देने को कहा है।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश केवल कागजों पर ही क्यों है। अगर यह प्रदूषण कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया?" कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वे कम से कम अगले वर्ष के लिए ऐसी व्यवस्था तैयार करें ताकि दिल्ली प्रदूषण से न घुटे।

दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुँचा वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)

दीवाली के चार दिन बाद भी सोमवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर श्रेणी में पहुँच गया। कई इलाकों जैसे आनंद विहार, रोहिणी, अशोक विहार और विवेक विहार में AQI का स्तर 400 से ऊपर दर्ज किया गया। लोधी रोड जैसे संपन्न क्षेत्रों में भी जहरीली हवा का असर दिखाई दिया। सुबह 7 बजे तक दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 373 था, जो रविवार के 382 के उच्चतम स्तर से थोड़ा ही कम था।

दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों की स्थिति भी चिंताजनक बनी रही। नोएडा का AQI 305, गाजियाबाद 295, और गुरुग्राम 276 पर दर्ज हुआ। हरियाणा के हिसार (372), और राजस्थान के श्रीगंगानगर (397) और भरतपुर (320) में भी उच्च AQI स्तर रिकॉर्ड किया गया।

PM2.5 और NO2 का बढ़ता खतरा

दीवाली के बाद दिल्ली में PM2.5 के स्तर में खतरनाक वृद्धि देखी गई। 2 नवंबर की मध्यरात्रि को PM2.5 स्तर 603 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुँच गया। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के अनुसार, यह पिछले दो वर्षों की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह, दीवाली की रात को नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का स्तर भी बढ़ा हुआ था। PM2.5 अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर हानिकारक हैं। वार्षिक मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

पराली जलाने की घटनाओं पर भी निगरानी

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से पराली जलाने की घटनाओं पर जानकारी देने का निर्देश दिया है। 22 से 31 अक्टूबर के बीच हुई पराली जलाने की घटनाओं की जानकारी देते हुए अदालत ने कहा कि दोनों राज्यों को इस मुद्दे पर कार्यवाही करनी होगी। इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है कि पराली जलाने वालों पर जुर्माना लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (EPA) के सेक्शन 15 के तहत जुर्माना लगाने का प्रावधान फिर से कैसे लागू होगा।

दिल्ली में प्रदूषण रोकने के प्रयास - क्या हो रहा है पर्याप्त?

हर साल दीवाली के बाद दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो जाता है। बावजूद इसके, पटाखों पर प्रतिबंध केवल कागजों पर ही रह जाता है। अदालत ने सवाल किया कि दिल्ली सरकार और पुलिस इसके क्रियान्वयन में क्यों विफल हो रही है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि अगले वर्ष के लिए ऐसी व्यवस्था हो जिससे पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली और एनसीआर के लोगों को प्रदूषण के कारण सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सरकार और संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय करें।