दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, पटाखे बैन उल्लंघन पर सीलिंग का आदेश, हरियाणा और पंजाब से जवाब तलब

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के गंभीर मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन पर स्पष्टीकरण मांगा। शीर्ष अदालत ने हरियाणा और पंजाब सरकारों से पिछले दस दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि का जवाब भी तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने पर्यावरण संगठन "सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट" की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 2024 में दिवाली का तापमान 2022 और 2023 की तुलना में अधिक था, जिससे प्रदूषण स्तर भी अधिक हो गया। अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई से पहले एक शपथपत्र दाखिल करे जिसमें यह बताया जाए कि अगली दिवाली पर प्रदूषण की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
पटाखे बैन उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से भी इस बात का स्पष्टीकरण मांगा कि दिवाली के दौरान पटाखे जलाने के प्रतिबंध का पालन क्यों नहीं हो सका। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "हमें दिल्ली सरकार से तत्काल जवाब चाहिए कि यह स्थिति क्यों बनी। हम दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी नोटिस जारी करेंगे कि इस प्रतिबंध का पालन क्यों नहीं हो सका।" अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि पटाखों के प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए जैसे कि उनके परिसरों को सील करना। न्यायमूर्ति ओका ने यह स्पष्ट किया कि पटाखे प्रतिबंध पर अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
हरियाणा और पंजाब सरकारों से पराली जलाने पर स्पष्टीकरण तलब
प्रदूषण का एक और मुख्य कारण पराली जलाना है जिससे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकारों से हाल ही में बढ़ी हुई पराली जलाने की घटनाओं पर जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी कहा कि बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए और इस संबंध में सरकारों को आवश्यक रणनीति तैयार करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पटाखों पर स्थाई प्रतिबंध की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार पटाखों पर स्थाई प्रतिबंध लगाने पर विचार करे, जिससे अगले साल की दिवाली पर प्रदूषण की स्थिति और अधिक न बिगड़े। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को तय की है और दिल्ली सरकार से कहा कि वह इस विषय में उठाए गए सभी कदमों का विस्तृत विवरण दे। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक सख्त संदेश है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "अगली दिवाली में भी पटाखे प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। हमने पहले भी इस विषय पर आदेश दिए थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। अब इसे दोहराया नहीं जाएगा।"
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी किया तलब
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से भी एक सप्ताह में शपथपत्र दायर करने को कहा है, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि पटाखे जलाने के प्रतिबंध का उल्लंघन क्यों हुआ। अदालत ने यह भी कहा कि 1981 के "वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम" में हाल में हुए संशोधन से केवल जुर्माने का प्रावधान है जिससे ऐसे गंभीर उल्लंघनों को रोकने में प्रभावी कार्रवाई की कमी महसूस होती है। न्यायमूर्ति ओका ने इस अधिनियम में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रदूषण के स्थाई समाधान की जरूरत
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट गंभीर होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में सभी संबंधित राज्य सरकारों और एजेंसियों से एक व्यापक और स्थाई समाधान निकालने की अपील की है। अदालत के इस कदम से उम्मीद है कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को अधिक सख्त और प्रभावी बनाया जा सकेगा।