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Toll Tax : द्वारका एक्सप्रेस पर इस तरह काटा जाएगा अब टोल टैक्स, NHAI ने जारी किया टोल पर ताजा अपडेट

Dwarka Expressway Toll System: अक्टूबर 2024 के अंत में टोल वसूली की शुरुआत के लिए एनएचएआई ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। एक्सप्रेसवे पर एक सेटेलाइट आधारित टोल प्लाजा स्थापित किया गया है जो गुरुग्राम- दिल्ली सीमा पर गांव चौमा के पास स्थित है। यह टोल प्लाजा 23 लेन का है जिससे हर दिन लगभग 20000 वाहन गुजरते हैं।
 
Dwarka Expressway Toll System

Delhi Highlights, चंडीगढ़: द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात को सुगम बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को एक प्रमुख परिवहन मार्ग के रूप में देखा जा रहा है जो दिल्ली-एनसीआर के ट्रैफिक को भी संतुलित करेगा। अक्टूबर 2024 के अंत में इस एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है जिससे इसके संचालन को और भी व्यवस्थित किया जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा सेटेलाइट आधारित टोल सिस्टम लागू किया जा रहा है जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी और नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित होगा।

Dwarka Express Way का निर्माण

द्वारका एक्सप्रेसवे जिसे उत्तरी पेरिफेरल रोड (NPR) के नाम से भी जाना जाता है का निर्माण करीब 9000 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और गुरुग्राम के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है जिसकी कुल लंबाई 28 किलोमीटर है। इसका उद्देश्य दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात को तेज और सुगम बनाना है। इस एक्सप्रेसवे पर वाहनों की अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एक्सप्रेसवे के गुरुग्राम हिस्से का उद्घाटन किया था जो कि लगभग 18.9 किलोमीटर लंबा है।

Dwarka Express Way पर टोल वसूली की प्रक्रिया

अक्टूबर 2024 के अंत में टोल वसूली की शुरुआत के लिए एनएचएआई ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। एक्सप्रेसवे पर एक सेटेलाइट आधारित टोल प्लाजा स्थापित किया गया है जो गुरुग्राम- दिल्ली सीमा पर गांव चौमा के पास स्थित है। यह टोल प्लाजा 23 लेन का है जिससे हर दिन लगभग 20000 वाहन गुजरते हैं। इस टोल प्लाजा पर टोल वसूली की प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए सिग्नल लगाने का कार्य अंतिम चरण में है। साथ ही प्रति किलोमीटर टोल शुल्क की दरें निर्धारित करने के लिए परिवहन मंत्रालय में योजनाएँ बनाई जा रही हैं।

सेटेलाइट आधारित टोल सिस्टम की खासियत

इस एक्सप्रेसवे पर लागू होने वाला सेटेलाइट आधारित टोल सिस्टम अपनी तरह का आधुनिक और सुरक्षित तरीका है। इस सिस्टम के जरिए टोल शुल्क की वसूली में पूरी पारदर्शिता होगी और इससे यातायात प्रबंधन में भी सुधार होगा। इस प्रणाली के तहत टोल वसूली वाहन के प्रवेश और निकास बिंदुओं के बीच की दूरी के आधार पर की जाएगी। यानी जितना ज्यादा किलोमीटर कोई वाहन एक्सप्रेसवे पर चलेगा उतना ही अधिक टोल उसे देना होगा। इस तकनीक के उपयोग से टोल चोरी की घटनाओं पर भी नियंत्रण लगेगा।